यूपी: भाजपा ने खतौली हार से ली सबक, निकाय चुनावों में नेताओं के रिश्तेदारों को नहीं मिलेगा टिकट

By राजेंद्र कुमार | Published: December 12, 2022 04:21 PM2022-12-12T16:21:15+5:302022-12-12T16:24:29+5:30

मैनपुरी लोकसभा सीट और खतौली विधानसभा सीट के उपचुनाव में मिली हार से सबक के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा ने तय किया है कि निकाय चुनावों में पार्टी नेताओं के नाते रिश्तेदारों को चुनाव मैदान में नहीं उतारेगी।

UP: BJP took lesson from Khatauli defeat, relatives of leaders will not get ticket in civic elections | यूपी: भाजपा ने खतौली हार से ली सबक, निकाय चुनावों में नेताओं के रिश्तेदारों को नहीं मिलेगा टिकट

फाइल फोटो

Highlightsयूपी भाजपा निकाय चुनावों में नेताओं के रिश्तेदारों को नहीं देगी टिकटखतौली उनचुनाव में पूर्व विधायक की पत्नी को मिली हुई हार से भाजपा ने लिया सबकसीएम योगी और बीजेपी प्रदेश भूपेंद्र चौधरी के बीच हुई बैठक में लिया गया फैसला

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) निकाय चुनावों में पार्टी नेताओं के नाते रिश्तेदारों को चुनाव मैदान में नहीं उतारेगी। पार्टी कार्यकर्ताओं को ही निकाय चुनावों में टिकट दिया जाएगा ताकि लोकसभा चुनावों के पहले कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना पार्टी को न करना पड़े। इसके साथ ही पार्टी में बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं और जनता को यह संदेश दिया जा सके कि सिर्फ भाजपा ही अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को राजनीति में आगे बढ़ाती है और परिवारवाद के तहत कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर पार्टी नेताओं के नाते रिश्तेदारों को टिकट देने को महत्व देती है।

रविवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की अध्यक्षता में पार्टी पदाधिकारियों और बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस दोनों ही बैठकों में बीते दिनों मैनपुरी लोकसभा सीट और खतौली तथा रामपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों की भी समीक्षा की गई। मैनपुरी लोकसभा सीट तथा खतौली विधानसभा सीट पर भाजपा की हार क्यों हुई? इस पर भी गहन चर्चा की गई।

इस दौरान पार्टी नेताओं ने खतौली विधानसभा सीट पर पूर्व विधायक विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी को टिकट देने के फैसले को गलत फैसला बताया। पार्टी नेताओं का कहना था कि राजकुमारी की जगह अगर किसी पार्टी कार्यकर्ता को टिकट दिया गया होता तो खतौली सीट भी भाजपा के खाते में आती। इसलिए अब निकाय चुनावों में पार्टी नेताओं के बेटा, बेटी या अन्य नाते रिश्तेदार को टिकट देने से बचा जाए। जिन निकायों में पार्टी के पास दूसरे मजबूत विकल्प नहीं हो उन्हीं सीटों पर पार्टी नेताओं के नाते-रिश्तेदारों के नामों पर विचार किया जाए।

भाजपा के नेताओं के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पार्टी के प्रदेश भूपेंद्र चौधरी नेताओं के ऐसे तर्कों से सहमत हुए और उन्होंने निकाय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के चयन के लिए स्क्रीनिंग कमेटी के गठन का निर्देश दिया। अब स्क्रीनिंग कमेटी निकाय स्तर पर और जिला स्तर पर बैठक कर प्रत्याशियों के नामों की सूची एक सप्ताह के अंदर बनाएगी। इसके बाद प्रत्याशियों के नामों पर अंतिम मुहर प्रदेश मुख्यालय से लगेगी।

इस फैसले के बाद भूपेंद्र चौधरी ने सभी पार्टी पदाधिकारी से कहा कि वह संगठन की योजनानुसार कार्य करते हुए निकाय चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के अभियान में जुट जाएं। प्रदेश से लेकर बूथ तक के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर नगरीय निकाय के चुनाव में जीत के लिए काम करना है। सब लोग संगठन की तय योजनानुसार महापौर, पार्षद, पालिका अध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष व अन्य पदों के लिए अपनी तैयारियां पूरी कर लें। पार्टी के लिए  वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव से पहले होने जा रहे नगरीय निकाय का चुनाव काफी महत्वपूर्ण है।

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