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यूपी विधानसभा चुनावः सपा प्रमुख अखिलेश यादव मिल जाएं तो पूर्वी उत्तर प्रदेश में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलेगी, ओमप्रकाश राजभर का दावा

By भाषा | Updated: August 9, 2021 15:10 IST

UP Assembly Elections: वर्ष 2002 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की स्थापना करने वाले राजभर ने 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन किया था।

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ठळक मुद्दे आठ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, कुल चार उम्मीदवार विजयी हुए।राजभर की पार्टी को कुल मतदान का 0.70 प्रतिशत और लड़ी सीटों का 34.14 प्रतिशत वोट मिला।विद्रोही तेवर को देखते हुए मई 2019 में योगी मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया।

UP Assembly Elections: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भाजपा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला किया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में है। कई दल चुनावी मैदान में उतरने के लिए दांव चल रहे हैं।

सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने दावा किया है कि अगर समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव केवल छोटे दलों से समझौता कर ले, तो आगामी विधानसभा चुनाव में पूर्वी उत्तर प्रदेश में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलेगी। उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री राजभर ने कहा, ''भारतीय जनता पार्टी की सरकार से पूरे राज्य की जनता में नाराजगी है।

यदि समाजवादी पार्टी आगे बढ़कर क्षेत्रीय पार्टियों और छोटी पार्टियों से समझौता कर ले तो चुनाव परिणाम बदल जाएगा। सपा केवल हमसे (सुभासपा) समझौता कर ले तो मऊ, बलिया, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, आंबेडकर नगर आदि जिलों में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलेगी। सिर्फ बनारस में दो सीट पर लड़ाई रहेगी।''

उल्लेखनीय है कि वाराणसी जिले के मूल निवासी राजभर गाजीपुर जिले की जहूराबाद विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्होंने अपनी पार्टी का मुख्यालय बलिया जिले के रसड़ा में बनाया है। वह जिस राजभर बिरादरी से आते हैं, उसकी पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में अच्छी संख्या है। सुभासपा का दावा है कि बहराइच से बलिया तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस समुदाय की आबादी 12 फीसद है। 403 सदस्यों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में पूर्वी उत्तर प्रदेश से लगभग 150 सीट हैं।

अखिलेश यादव के इस बयान पर कि छोटे दलों के लिए उनके दरवाजे खुले रहेंगे, सुभासपा प्रमुख ने कहा, '' उनका यह बयान करीब छह माह से चल रहा है। क्या किसी छोटे दल के नेता से उन्होंने बातचीत की। अभी तो उनकी तरफ से कोई पहल ही नहीं हुई है। वह (अखिलेश यादव) जिस तरह कह रहे हैं, अगर छोटे दलों को बुलाकर बात कर लें तो देखिए परिणाम क्या होता है।''

राज्य में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस में कौन सी पार्टी भाजपा को हरा सकती है, इस प्रश्न पर उन्होंने कहा ''प्रदेश में लोगों को लग रहा है कि भाजपा से सिर्फ सपा ही लड़ सकती है। इधर बसपा ने भी कोशिश शुरू की है, लेकिन बसपा का वह ‘क्रेज’ नहीं है, जो समाजवादी पार्टी का है।''

राजभर ने कहा कि छोटे दलों को मिलाकर बनाया गया उनका 'भागीदारी संकल्प मोर्चा' बहुत मजबूत है तथा अभी कई और दल इसमें शामिल होंगे। उन्होंने पहले कहा था कि अगर भाजपा किसी पिछड़े वर्ग के नेता को अगले चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाती है तो उनकी पार्टी एकबार फिर से भाजपा से गठजोड़ कर सकती है।

इससे पहले, मंगलवार को राजभर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मिले थे, जिससे उनके एक बार फिर से भगवा पार्टी से हाथ मिलाने को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी थीं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के घर जाने के बारे में पूछे जाने पर राजभर ने कहा, ''भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह कई बार मेरे घर आए, वही मुझे स्‍वतंत्र देव सिंह के घर लेकर गए, उनकी पत्नी स्‍वाति सिंह उप्र सरकार में मंत्री हैं, वह बलिया के हैं और मैं भी बलिया में रहता हूं तो मेरा उनसे पुराना संबंध है।''

भाजपा के लोगों से इतने निकट संबंध होने के बावजूद लड़ाई की स्थिति क्यों आई, इस सवाल पर राजभर ने कहा, ‘‘भाजपा से हमारा झगड़ा वंचित समाज के हक को लेकर है।’’ उन्होंने कहा, '' हम देश में जातिवार जनगणना चाहते हैं, 2001 में राजनाथ सिंह ने एक सामाजिक न्‍याय समिति बनाई थी जिसकी रिपोर्ट रद्दी की टोकरी में पड़ी रही।

हम पिछड़ों के आरक्षण में बंटवारे के लिए उस रिपोर्ट को लागू कराना चाहते हैं। 2017 के चुनाव से पहले जब हमारी अमित शाह से बात हुई तो उन्होंने कहा कि अगर आप रिपोर्ट लागू कराना चाहते हैं तो डबल इंजन की सरकार बनवाइए। उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव से छह माह पहले इसे लागू कर दिया जाएगा, लेकिन अंतिम समय में अमित शाह ने कहा कि पिछड़ी जाति के आरक्षण में बंटवारे के बाद यादव और कुर्मी जातियां नाराज होंगी, इसलिए रिपोर्ट लागू नहीं की जा सकती।''

गौरतलब है कि राजभर की पार्टी ने 2017 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी गठबंधन से अलग हो गई थी। पिछले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राजभर की पार्टी को चार सीटों पर जीत मिली थी और राज्य सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

योगी के नेतृत्व में भाजपा विधानसभा चुनाव लड़ेगी तो हम कतई गठबंधन नहीं करेंगे : राजभर

उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने राज्य में अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से गठबंधन की अटकलों के बीच दावा किया कि ''भाजपा भले ही उनकी सभी शर्त मान ले, लेकिन यदि पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ा तो वह उससे गठबंधन नहीं करेंगे।'' राजभर ने कहा, ''27 अक्टूबर को हम अपनी पार्टी का स्थापना दिवस मनाएंगे और उसी दिन 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए अपने फैसले की घोषणा करेंगे।

राजभर ने दावा किया कि इसी दिन (27 अक्टूबर को) भाजपा की विदाई की तारीख भी तय हो जाएगी। राज्य की भाजपा सरकार में 2017 से 2019 तक पिछड़ा वर्ग व दिव्यांग जन कल्‍याण मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि ''अव्‍वल तो भारतीय जनता पार्टी से उनका (सुभासपा) गठबंधन नहीं होने वाला है, लेकिन अगर कहीं कोई संभावना बनी तो भाजपा को हमारी शर्तें माननी पड़ेगी।

इन शर्तों में देश में जातिवार गणना, सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करना, पिछड़ी जाति का मुख्यमंत्री घोषित करना, एक समान और अनिवार्य नि:शुल्क शिक्षा आदि शामिल है।'' राजभर ने कहा, '' इनकी डबल इंजन की सरकार है और अगर 72 घंटे में गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण लागू कर सकते हैं तो हमारी मांगों को भी अभी पूरा किया जा सकता है।

सभी मांगे पूरी होने के बाद ही किसी तरह की बातचीत होगी।'' राजभर ने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जिस तरह सभाओं में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की झूठी तारीफ कर रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि अगला विधानसभा चुनाव योगी के ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा और ऐसी स्थिति में हम भाजपा से कतई गठबंधन नहीं करेंगे।''

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