(सुदीप्तो चौधरी)
कोलकाता, 16 अप्रैल यूरोपीय रोग नियंत्रण केंद्र (ईसीडीसी) की निदेशक एंड्रिया एम्मॉन का कहना है कि टीका जब तक सार्स-सीओवी2 और उसके ज्ञात स्वरूपों के प्रभाव को “पूरी तरह खत्म” नहीं करता तब तक भौतिक दूरी और मास्क लगाने जैसे गैर औषधीय उपाय (एनपीआई) का सख्त अनुपालन अनिवार्य है।
जर्मन फिजिशियन ने कहा कि अगर एनपीआई को और सुदृढ़ व सख्त नहीं किया गया तो कोविड-19 संबंधी मामलों और मौत में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा सकता है। भारत में शुक्रवार को संक्रमण के रिकॉर्ड 2.17 लाख मामले सामने आए और संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 1,42,91,917 पहुंच गई।
एम्मॉन ने म्यूनिख से ईमेल पर ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये एक साक्षात्कार में कहा, “महामारी की स्थिति में एनपीआई का प्रभावी क्रियान्वयन लगातार बढ़ रहे सार्स-सीओवी2 और उसके ज्ञात स्वरूपों के खिलाफ प्रतिक्रिया में आवश्यक है। इसे तब तक जारी रखना चाहिए जब तक टीका आम लोगों और स्वास्थ्य सेवाओं पर इसके दुष्प्रभावों को पूरी तरह खत्म करने में कारगर नहीं होता।”
ईसीडीसी द्वारा यूरोपीय संघ (ईयू) यूरोपीय आर्थिक क्षेत्रों (ईईए) में किये गए एक अध्ययन का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, “जब तक सामाजिक दूरी का पालन जैसे एनपीआई को आगामी महीनों में अनुपालन के लिहाज से मजबूत नहीं किया जाएगा तो बड़ी संख्या में मामलों और मौतों की संख्या में वृद्धि का पूर्वानुमान व्यक्त किया जा सकता है।”
एनपीआई को सामुदायिक शमन रणनीति के तौर पर भी जाना जाता है जिसमें वो कार्रवाई आती हैं जो महामारी के प्रकोप को धीमा करने में इस्तेमाल होती हैं- यह टीकाकरण और दवाओं के इस्तेमाल से इतर है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब तक टीके उपलब्ध न हों तब तक महामारी को रोकने में एनपीआई सबसे अच्छा तरीका है।
एम्मॉन ने कहा, “जब तक बड़ी आबादी का टीकाकरण नहीं हो जाता तब तक हमें गैर औषधीय उपायों (शारीरिक दूरी, फेस मास्क, हाथों की स्वच्छता) को बरकरार रखने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि सामूहिक टीकाकरण ही इससे उबरने का एक उपाय है।
उनके मुताबिक प्राथमिकता वाले समूहों के टीकाकरण से अस्पताल, आईसीयू में भर्ती होने के मामलों और मौतों को कम किया जा सकता है।
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