Unsung Heroes: कहानी भारत के उस जासूसी गुरु की जिसने खुफिया एजेंसी 'RAW' बनाई

By आदित्य द्विवेदी | Updated: December 14, 2017 17:12 IST2017-12-14T13:59:40+5:302017-12-14T17:12:46+5:30

रामेश्वर नाथ काव ने जासूसी और इंटेलिजेंस को जिया है। उनके जीवन में ऐसे सिर्फ दो ही मौके आए जब उनकी तस्वीर ली जा सकी। पढ़िए उनकी कहानी...

Unsung Hero: Rameshwar Nath kao, India's detective master who created 'RAW' | Unsung Heroes: कहानी भारत के उस जासूसी गुरु की जिसने खुफिया एजेंसी 'RAW' बनाई

Unsung Heroes: कहानी भारत के उस जासूसी गुरु की जिसने खुफिया एजेंसी 'RAW' बनाई

Highlightsरामेश्वर नाथ काव को भारत के जासूसी गुरू के रूप में जाना जाता हैरॉ की स्थापना के साथ ही कूटनीति के स्तर पर भी भारत ने अभूतपूर्व सफलता दर्ज कीकाव ने ही उस दौर में इजरायली इंटेलिजेंस एजेंसी मोसाद से सीक्रेट कॉन्टेक्ट बनाए थे, जब भारत-इजरायल के रिलेशन न के बराबर थे

रामेश्वर नाथ काव... भारत के जासूसी गुरू, जिन्हें सहकर्मी रामजी के नाम से पुकारते थे। इन्होंने ही भारत की पहली बाहरी खुफिया एजेंसी रिसर्च और एनालिसिस विंग 'RAW' बनाई जिसके दम पर 1971 की लड़ाई में हमें बड़ा सफलता मिली। 1962 के युद्ध में भारत को मुंह की खानी पड़ी जिसके बाद एक बाहरी खुफिया एजेंसी की जरूरत को बल मिला। 1967 तक इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के पास ही भारत की आंतरिक और बाहरी इंटेलिजेंस की जिम्मेदारी थी। रॉ की स्थापना के साथ ही कूटनीति के स्तर पर भी भारत ने अभूतपूर्व सफलता दर्ज की।

काव ने ही उस दौर में इजरायली इंटेलिजेंस एजेंसी मोसाद से सीक्रेट कॉण्टेक्ट बनाए थे, जब भारत-इजरायल के रिलेशन न के बराबर थे। काव 1977 तक रॉ के चीफ रहे। रॉ की उपलब्धियों में 1971 में बांग्लादेश के रूप में अलग देश की स्थापना से लेकर दुनिया भर में भारत के सुधरते रिश्ते शामिल हैं।

काव 1918 में बनारस के एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में एमए करने के बाद काव भारतीय पुलिस में शामिल हो गए। अपनी इंटेलिजेंस के लिए वो पूरी यूनिट में पहचाने जाने लगे। भारत की आजादी की घोषणा से ठीक से पहले वो डॉयरेक्टर ऑफ इंटेलिजेंस ब्यूरो नामक संस्था से जुड़ गए।

काव ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू समेत इंदिरा और राजीव गांधी के भी सुरक्षा सलाहकार रहे। काव ने ही रॉ के साथ नेशनल सिक्योरिटी गॉर्ड (एनएसजी) की भी स्थापना की। 1982 में फ्रेंच एक्सटर्नल इंटेलिजेंस एजेंसी SDECE के चीफ 'एलेक्जेंडर दे मेरेन्चेस' ने काव की गिनती 70 के दशक में दुनियाभर के पांच टॉप इंटेलिजेंस ऑफिसर्स में की थी।

आर.एन काव अपने निजी जिंदगी में बेहद शर्मीले शख्स रहे। राव की प्राइवेट लाइफ को इसी से समझा जा सकता है कि उनके पूरे जीवनकाल में सिर्फ दो ही मौके ऐसे आए जब उनकी तस्वीरें मिलती हैं। 

उनके समय के कुछ अधिकारी बताते हैं काव एक जेंटलमैन थे। उनका ड्रेसिंग सेंस, सोचने का तरीका और ईमानदार व्यक्तित्व किसी को भी प्रभावित कर लेता था। उनके करीबियों ने बाद में खुलासा किया कि रामजी जैसा जासूसी गुरू पूरे भारत में नहीं मिलेगा। काव के नेतृत्व में भारत ने बांग्लादेश मुक्ति बाहिनी को  सहारा दिया और बांग्लादेश के रूप में एक अलग देश का जन्म हुआ।

आपातकाल के बाद 1977 में इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं और जनता पार्टी की सरकार बनी। मोरार जी देसाई को भ्रम था कि आपातकाल के अत्याचारों में काव भी शरीक रहे हैं। जब उन्होंने काव से खुलकर बात की तो काव ने इसका खंडन किया। मोरारजी संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने एक कमेटी गठित की जिसने छह महीने के अंदर एक रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया कि रॉ और काव का आपातकाल से कोई लेना-देना नहीं था। काव बेदाग साबित हुए।

1980 में इंदिरा गांधी एक बार फिर से सत्ता में आई तो काव को सुरक्षा सलाहकार बनाया गया। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या तक वो इसी पद पर रहे और राजीव जी के काल में भी अपनी सेवाएं देते रहे थे। 

20 जनवरी 2002 को काव की मृत्यु हो गई। भारत एक इंटेलिजेंस चीफ और जासूसी गुरू के रूप में उन्हें हमेशा याद रखेगा... वो शख्स जिसने अकेले दम एक नए देश को जन्म दिया।

Web Title: Unsung Hero: Rameshwar Nath kao, India's detective master who created 'RAW'

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