आतंकवाद के खिलाफ नया UAPA संसोधन बिल वोटिंग के जरिए राज्य सभा से भी हुआ पास, जानिए किसने-क्या कहा?
By रामदीप मिश्रा | Updated: August 2, 2019 14:05 IST2019-08-02T13:39:28+5:302019-08-02T14:05:21+5:30
लोक सभा के बाद राज्य सभा से भी शुक्रवार (02 अगस्त) को 'विधि-विरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन विधेयक-2019' (यूएपीए) पारित हो गया। इस दौरान राज्य सभा में गरमा-गरम बहस देखी गई है।

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लोक सभा के बाद राज्य सभा से भी शुक्रवार (02 अगस्त) को 'विधि-विरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन विधेयक-2019' (यूएपीए) पारित हो गया। बिल के पक्ष में 147 वोट पड़े हैं, जबकि विरोध में 42 वोट पड़े। इससे पहले राज्य सभा में गरमा-गरम बहस देखी गई है। जहां, विपक्ष ने बिल को लेकर कई सवाल खड़े किए वहीं सत्तापक्ष की ओर से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शान ने करारे जवाब दिए।
वहीं, बिल पर बहस के दौरान अमित शाह ने विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 31 जुलाई, 2019 तक एनआईए ने कुल 278 मामले कानून के अंतर्गत रजिस्टर किए। 204 मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए और 54 मामलों में अब तक फैसला आया है। 54 में से 48 मामलों में सजा हुई है। सजा की दर 91% है। दुनियाभर की एजेंसियों में एनआईए की सजा की दर सबसे ज्यादा है।
उन्होंने आगे कहा कि जेहादी किस्म के केसों में 109 मामले रजिस्टर्ड किए गए। वामपंथी उग्रवाद के 27 मामले रजिस्टर्ड किए गए। नार्थ ईस्ट में अलग-अलग हत्यारी ग्रुपों के खिलाफ 47 मामले रजिस्टर्ड किए गए। खालिस्तानवादी ग्रुपों पर 14 मामले रजिस्टर्ड किए गए।
गृहमंत्री ने कहा कि विदेशी मुद्रा के दुरुपयोग और हवाला के लिए 45 मामले दर्ज किए गए और अन्य 36 मामले दर्ज किए गए। सभी मामलों में कोर्ट के अंदर चार्जशीट की प्रक्रिया कानून के तहत हुई है। आतंकवाद के खिलाफ जो मामले एनआईए दर्ज करती है, वो जटिल प्रकार के होते हैं। इनमें साक्ष्य मिलने की संभावनाएं कम होती हैं, ये अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय मामले होते हैं।
उन्होंने कहा कि जब हम किसी आतंकी गतिविधियों में लिप्त संस्था पर प्रतिबंध लगाते हैं तो उससे जुड़े लोग दूसरी संस्था खोल देते हैं और अपनी विचारधारा फैलाते रहते हैं। जब तक ऐसे लोगों को आतंकवादी नहीं घोषित करते तब तक इनके काम पर और इनके इरादे पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह ने तीन केसों का नाम लेकर कहा कि एनआईए द्वारा तीनों केसों में सजा नहीं हुई। मैं बताना चाहता हूं कि इन तीनों केसों में राजनीतिक प्रतिशोध के अधार पर एक धर्म विशेष को आतंकवाद के साथ जोड़ने का प्रयास किया गया था। सरकारी एजेंसियों को इतनी शक्ति देने और उसके दुरुपयोग पर शंका व्यक्त की गई है। इस बिल के संशोधन में, किसे आतंकी घोषित कर सकते हैं, की पूरी व्याख्या की गई है। ऐसे ही किसी को आतंकी घोषित नहीं किया जा सकता।
इससे पहले बिल को लेकर दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में कहा कि हमें बीजेपी की नीयत पर शक है। कांग्रेस ने आतंक पर कभी भी समझौता नहीं किया इसलिए हम इस कानून को लाए थे। ये बीजेपी थी जिसने आतंक पर समझौता किया। एकबार रुबैया सईद की छोड़ने के दौरान दूसरा मसूद अजहर को।
जद-यू के रामनाथ ठाकुर ने कहा कि एनआईए को अधिकारसम्पन्न बनाने का सरकार का कदम उचित है। उन्होंने कहा कि एनआईए को इतनी शक्ति दें कि वह अमेरिका के एफबीआई की तरह का काम कर सके। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सहयोगी संघीय व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए किसी अपराध की जांच को सुनिश्चित करना चहिये और एक समयसीमा के भीतर ऐसे मामलों को निपटाया जाना चाहिये।
बीजद के प्रसन्न आचार्य ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय दायित्व को पूरा करने के लिहाज से इस कानून को लाना जरुरी था। उन्होंने कहा कि विगत अनुभवों में इस तरह के सख्त कानून का दुरुपयोग होते रहने के कारण लोग इस बारे में आशंकित हैं और इसके शिकार कई राजनेता हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी स्थिति में इस कानून का दुरुपयोग न होने पाये और इसको समुचित तरीके से उपयोग में लाया जाये। उन्होंने जानना चाहा कि इस तरह के मामलों में निर्दोष साबित होने की दर इतनी अधिक क्यों है?
एमडीएमके के वायको ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह लोगों, विशेषकर अल्पसंख्यकों की आवाज को दबाने वाला विधेयक है। उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिविशेष के विरुद्ध है और उसे अपनी सफाई का कोई मौका नहीं दिया जा रहा है। यह लोगों के स्वतंत्रता के अधिकार का अतिक्रमण करता है। चर्चा में अन्नाद्रमुक के एस मुत्तुकुरुप्पन और टीआरएस के पी लिंगैय्या यादव ने भी भाग लिया। विधेयक पर चर्चा अधूरी रही।