आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर बैन लगाने के लिए अब अमेरिका ने भी मजबूती से अपने कदम बढ़ा दिये हैं। अमेरिका ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के सामने एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें मसूद अजहर पर बैन लगाने की बात कही गई है। ऐसे में अमेरिका के इस कदम से चीन के साथ इस मुद्दे पर उसकी टकराहट तय मानी जा रही है।
चीन ने करीब दो हफ्ते पहले ही मसूद अजहर के अल-कायदा से कथित संबंध के बावजूद उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया था। माना जा रहा है कि इसे देखते हुए अब अमेरिका ने खुद पहल किया है। अमेरिका के इस कदम का ब्रिटेन, फ्रांस ने भी साथ दिया है।
बता दें कि पाकिस्तान में स्थित जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए आतंकी हमले की भी जिम्मेदारी ली थी। अमेरिका की ओर से दिये गये मसौदे में जैश के आत्मघाती हमले की निंदा की गई है और निर्णय लिया गया है कि अजहर को यूएन के अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट की तरह की प्रतिबंधित लिस्ट में डाला जाए।
हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो सका है कि इस प्रस्ताव पर वोटिंग कब होगी। इस वोटिंग के दौरान भी चीन वीटो लगा सकता है क्योंकि वह भी ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका की तरह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य देश है।
इससे पहले चार बार मसूद अजहर को यूएन की प्रतिबंधित लिस्ट में डालने की कोशिश हो चुकी है। चीन में इसमें तीन बार सीधे तौर पर रोड़ा अटकाया और पिछली बार उसने 'तकनीकी रोक' लगा दी थी। यह तकनीकी रोक 9 महीनों के लिए वैध है। पिछली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अजहर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में शामिल किये जाने के प्रस्ताव का 15 सदस्यों में से 14 ने समर्थन किया था लेकिन चीन एक मात्र देश था जो इसके पक्ष में नहीं था।