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सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा को दी जमानत, माता-पिता के अस्पताल में भर्ती होने पर मिली राहत

By स्वाति सिंह | Updated: July 7, 2020 14:10 IST

होम बॉयर्स से धोखाधड़ी करने के आरोप में संजय चंद्रा तीन सालों से जेल में बंद हैं। लेकिन कोराना वायरस होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संजय के माता-पिता के स्वास्थ्य को देखते हुए जमानत दे दी।

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ठळक मुद्देसुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा को जमानत दे दी है।कोर्ट ने चंद्रा को उनके माता-पिता के अस्वस्थ होने और अस्पताल में भर्ती होने के आधार पर जमानत दी है

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा को जमानत दे दी है। कोर्ट ने चंद्रा को उनके माता-पिता के अस्वस्थ होने और अस्पताल में भर्ती होने के आधार पर जमानत दी है। कोराना वायरस होने के कारण संजय के माता-पिता को अस्‍पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि, कोर्ट ने संजय के भाई को जमानत नहीं दी। बता दें कि होम बॉयर्स से धोखाधड़ी करने के आरोप में संजय चंद्रा तीन सालों से जेल में बंद हैं।

गौरतलब है कि यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा समेत दो लोगों को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लयू) ने 1 अप्रैल, 2017 को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि एक प्रोजेक्ट का पैसा दूसरी कंपनी में निवेश करवाया। एक कंपनी से दूसरी कंपनी में निवेश करवाने के बाद उस पैसे को विदेश भेजा गया।

क्‍या है मामला?

बता दें कि 29,800 घर खरीदारों ने यूनिटेक कंपनी के पास करीब 14,270 करोड़ रुपये जमा किए थे। साथ ही परियोजनाओं के नाम पर बैंक से लिए लोन में से करीब 40 फीसदी रकम का ही इस्तेमाल परियोजनाओं के लिए हुआ। कंपनी प्रबंधकों ने 60 फीसदी रकम को डायवर्ट कर दिया।

इसके साथ ही 2007 से 2010 के दौरान कंपनी द्वारा कर चोरी के लिहाज से पनाहगाह माने जाने वाले देशों में बड़ा निवेश किये जाने का पता चलता है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक लिमिटेड के प्रमोटर्स के खिलाफ मनी लॉड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया था।

केंद्र सरकार ने किया था टेकओवर

उच्चतम न्यायालय ने 18 दिसंबर 2019 को केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वह 2017 के अपने प्रस्ताव पर विचार करने के लिये तैयार है, क्योंकि यूनिटेक लिमिटेड की परियोजनाओं को किसी विशिष्ट एजेंसी द्वारा अपने हाथों में लेने की तत्काल जरूरत है ताकि घर खरीदारों के हित में अटकी परियोजनाओं को तय समय के भीतर पूरा किया जा सके। केंद्र सरकार ने नये नोट में पुराने प्रस्ताव पर विचार करने की सहमति व्यक्त करने के साथ ही कहा कि वह कंपनी की अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिये इसमें पैसे नहीं लगाएगी।

उल्लेखनीय है कि यूनिटेक लिमिटेड के बारे में फोरेंसिक ऑडिटर द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2006 से 2014 के दौरान 29,800 घर खरीदारों से करीब 14,270 करोड़ रुपये जुटाने और छह वित्तीय संस्थानों से करीब 1,805 करोड़ रुपये जुटाने का पता चला है।

कंपनी ने 74 परियोजनाओं को पूरा करने के लिये यह राशि जुटायी थी। इसमें पता चला है कि कंपनी ने घर खरीदारों से जुटाये करीब 5,063 करोड़ रुपये और वित्तीय संस्थानों से जुटाये करीब 763 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नहीं किया। बल्कि 2007 से 2010 के दौरान कंपनी द्वारा कर चोरी के लिहाज से पनाहगाह माने जाने वाले देशा में बड़ा निवेश किये जाने का पता चलता है।

फारेंसिंक आडिट में यह सब पता चलने के बाद उच्चतम न्यायालय ने यूनिटेक लिमिटेड के प्रवर्तकों के खिलाफ मनी लौंड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया। यूनिटेक के प्रवर्तक संजय चंद्रा और उनके भाई अजय चंद्रा घर खरीदारों से प्राप्त धन की हेरा-फेरी के आरोप में फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं।  

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