Triple Talaq: विधेयक सियासत, धर्म, सम्प्रदाय का प्रश्न नहीं है, बल्कि यह 'नारी के सम्मान और नारी-न्याय’ का सवाल है

By भाषा | Updated: July 25, 2019 15:28 IST2019-07-25T15:28:06+5:302019-07-25T15:28:06+5:30

रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ को चर्चा एवं पारित करने के लिये पेश किया जिसमें विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की संरक्षा करने और उनके पतियों द्वारा तीन बार तलाक बोलकर विवाह तोड़ने को निषेध करने का प्रावधान किया गया है।

Union Minister Ravi Shankar Prasad speaks on Triple Talaq Bill in Lok Sabha. | Triple Talaq: विधेयक सियासत, धर्म, सम्प्रदाय का प्रश्न नहीं है, बल्कि यह 'नारी के सम्मान और नारी-न्याय’ का सवाल है

प्रसाद ने कहा कि यह ''नारी के सम्मान और नारी-न्याय का सवाल है , धर्म का नहीं।’’

Highlightsतीन तलाक पर रोक वाला विधेयक धर्म से नहीं बल्कि नारी सम्मान से जुड़ा विषय : रविशंकर प्रसाद।रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ को चर्चा एवं पारित करने के लिये पेश किया।

लैंगिक न्याय को नरेंद्र मोदी सरकार का मूल तत्व बताते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बृहस्पतिवार को कहा कि तीन तलाक पर रोक लगाने संबंधी विधेयक सियासत, धर्म, सम्प्रदाय का प्रश्न नहीं है बल्कि यह 'नारी के सम्मान और नारी-न्याय’ का सवाल है और हिन्दुस्तान की बेटियों के अधिकारों की सुरक्षा संबंधी इस पहल का सभी को समर्थन करना चाहिए।

रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ को चर्चा एवं पारित करने के लिये पेश किया जिसमें विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की संरक्षा करने और उनके पतियों द्वारा तीन बार तलाक बोलकर विवाह तोड़ने को निषेध करने का प्रावधान किया गया है।

आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिये पेश किये जाने का विरोध करते हुए इस संबंध में सरकार द्वारा फरवरी में लाये गये अध्यादेश के खिलाफ सांविधिक संकल्प पेश किया। संकल्प पेश करने वालों में अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर, प्रो. सौगत राय, पी के कुन्हालीकुट्टी और असदुद्दीन औवैसी भी शामिल हैं।

प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक को भाजपा सरकार लक्षित एजेंडे के रूप में लाई है । यह राजनीतिक है । इस बारे में अध्यादेश लाने की इतनी जरूरत क्यों पड़ी । उन्होंने यह भी कहा कि इस बारे में उच्चतम न्यायालय का फैसला 3:2 के आधार पर आया।

वहीं, विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि संविधान के मूल में लैंगिक न्याय है व महिलाओं और बच्चों के साथ किसी भी तरह से भेदभाव का निषेध किया गया है। मोदी सरकार के मूल में भी लैंगिक न्याय है । हमारी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘उज्जवला’ जैसी योजनाएं महिलाओं को सशक्त बनाने से जुड़ी हैं।

इसी दिशा में पीड़ित महिलाओं की संरक्षा के लिये हम कानून बनाने की पहल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तीन तलाक की पीड़ित कुछ महिलाओं द्वारा उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था। यह 5 न्यायमूर्तियों की पीठ थी।

इस फैसले का सार था कि शीर्ष अदालत ने इस प्रथा को गलत बताया। इस बारे में कानून बनाने की बात कही गई । प्रसाद ने कहा, ‘‘तो अगर इस दिशा में आगे नहीं बढ़े तो क्या पीड़ित महिलाएं फैसले को घर में टांग लें ।’’ प्रसाद ने कहा कि यह ''नारी के सम्मान और नारी-न्याय का सवाल है , धर्म का नहीं।’’

प्रसाद ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में तीन तलाक विधेयक को लोकसभा ने मंजूरी दी थी। लेकिन यह राज्यसभा में पारित नहीं हो सका। संसद के दोनों सदनों से मंजूरी नहीं मिलने पर सरकार इस संबंध में अध्यादेश लेकर आई थी जो अभी प्रभावी है।

विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि 2017 से अब तक तीन तलाक के 574 मामले विभिन्न स्रोतों से सामने आये हैं । मीडिया में लगातार तीन तलाक के उदाहरण सामने आ रहे हैं। इस विधेयक को सियासी चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए । यह इंसाफ से जुड़ा विषय है। इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है।

प्रसाद ने कहा कि20 इस्लामी देशों ने इस प्रथा को नियंत्रित किया है । हिन्दुस्तान एक धर्मनिरपेक्ष देश है तो वह ऐसा क्यों नहीं कर सकता । उन्होंने बताया कि इसमें मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है । इसके अलावा भी कई एहतियाती उपाए किये गए हैं । 

Web Title: Union Minister Ravi Shankar Prasad speaks on Triple Talaq Bill in Lok Sabha.

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