नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को राजधानी में 9वें भारतीय उद्योग परिसंघ-एलएसी कॉन्क्लेव में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा, "पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले नौ वर्षों में भारत और लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई क्षेत्रों के बीच संबंध एक नए पथ पर आगे बढ़े हैं।"
विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में जब से पीएम मोदी सत्ता में आए हैं, हमारे संबंध एक नए पथ पर आगे बढ़े हैं। इस क्षेत्र के साथ भारत के संबंधों को संपूर्ण दायरे में विकसित किया जा रहा है।
लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्रों में 34 उच्च-स्तरीय यात्राओं के साथ उल्लेखनीय भागीदारी देखी गई है, जिसमें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की छह-छह यात्राएं और प्रधानमंत्री की चार यात्राएं शामिल हैं।
कॉन्क्लेव में एस जयशंकर ने कहा कि भारत-एलएसी साझेदारी का भविष्य चार महत्वपूर्ण स्तंभों पर आधारित होगी जिसमें आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण, संसाधन साझेदारी, विकासात्मक साझेदारी साझा करना और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना शामिल है।
जयशंकर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान दोनों क्षेत्रों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जो हमारी आर्थिक साझेदारी की "ताकत और क्षमता" दोनों का प्रमाण है।
शेष विश्व के साथ एलएसी देशों के साथ भारत के व्यापार की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि यह ध्यान देने वाली बात है कि ब्राजील को भारत का निर्यात 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर है जो जापान को हमारे निर्यात से लगभग दोगुना है। इसी तरह, मेक्सिको को हमारा निर्यात 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जो कनाडा को हमारे निर्यात से अधिक है।
फार्मा और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में भारत की अहम भूमिका
विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि कृषि, ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मा और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में मजबूत उपस्थिति के साथ भारतीय कंपनियों ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों ने इस क्षेत्र में लगभग 15 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है, इससे पता चलता है कि भारतीय व्यवसायों की इस क्षेत्र में कितनी रुचि है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने हमारे साझेदारों क्यूबा, बोलीविया, गुयाना, होंडुरास, जमैका, निकारागुआ और सूरीनाम को 35 क्रेडिट लाइनें दी हैं।
इन लाइनों के तहत लगभग 900 मिलियन अमेरिकी डॉलर का विस्तार किया गया है और हम इनमें से 21 प्रतिबद्ध परियोजनाओं को पहले ही पूरा कर चुके हैं। हमारी विकास परियोजनाओं ने रोजगार पैदा किया है।
जयशंकर ने जुड़ाव का एक और बिंदु जो छुआ वह कच्चे और तैयार माल के आयात और निर्यात के संदर्भ में व्यापार साझेदारी की पूरक प्रकृति थी।