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सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में UIDAI के CEO का दावा- आधार की 'एनक्रिप्शन' तोड़ने में ब्रह्मांड की उम्र लग जाएगी

By पल्लवी कुमारी | Updated: March 22, 2018 22:50 IST

सुप्रीम कोर्ट आधार की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई कर रही है। जिसके लिए यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडे खुद कोर्ट में पेश हुए थे।

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नई दिल्ली, 22 मार्च; सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार आधार कार्ड योजना का बचाव करने के लिए यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडे खुद पेश हुए थे। अजय भूषण ने कोर्ट को आधार के तकनीकी पहलू समझाए।  अजय भूषण पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने 80 मिनट प्रजेंटेशन दी। उन्होंने कोर्ट में यह साफ किया कि आधार में दर्ज डाटा पूरी तरह से सुरक्षित है। 

अजय भूषण ने कोर्ट को बताया कि आधार के डाटा पूरी तरह से सेफ हैं। उसके लीक होने का कोई खतरा नहीं है। गौरतलब है कि बुधवार को  एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कोर्ट के समक्ष यह अर्जी दी थी कि वह  आधार के सीईओ को पेश होने की इजाज़त दे। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। सुप्रीम कोर्ट आधार की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई कर रही है।

अजय भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में रखी ये अहम बातें

-आधार के बॉयोमैट्रिक डाटा 2048 बिट एनक्रिप्शन से सुरक्षित हैं। आधार में दर्ज डाटा को चुरा पाना असंभव जैसा है।

- आधार में मिलने वाला 12 अंकों का नंबर विशिष्ट है। वह नंबर किसी एक ही व्यक्ति का हो सकता है। वो भी नंबर रैंडम रखा गया है, ताकि जिससे कोई भी शख्स का नाम, शहर और राज्य कुछ भी नहीं जा सके। 

-  आधार के लिए बायोमेट्रिक लेते ही वो एन्क्रिप्टेड हो जाता है। इसे खोलना 2048 अंकों वाला लॉक खोलने जैसा है। अगर इसे दुनिया के सबसे बेहतर कंप्यूटर भी खोलने की कोशिश करें तो वह नहीं खुल सकता है। 

- आधार की 'एनक्रिप्शन' को तोड़ने के लिए पूरे ब्रह्मांड की उम्र लग सकती है। लेकिन फिर भी यह नहीं खुलेगा।

- कोर्ट में सीईओ ने यह भी बताया कि बैंक या कोई और संस्था अगर किसी व्यक्ति की पहचान की पुष्टि चाहते हैं तो बायोमेट्रिक से इसकी पुष्टि करा दी जाती है लेकिन उनसे  बायोमेट्रिक शेयर नहीं किया जाता। 

- आधार की हर जानाकरी हमेशा यूआईडीएआई के सर्वर में सुरक्षित रहता है। उसे किसी तरह कोई हासिल नहीं कर सकता है। 

अजय भूषण पांडे ने कोर्ट में यह भी कहा कि आधार हर शख्स के लिए बनाया जाता है। चाहे उसके पास पहले से कोई आईडी न हो तो ग्राम पंचायत या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की पुष्टि पर आधार कार्ड बना दिया जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं बेघर लोगों को भी आधार कार्ड दिया जाता है। कोई नेत्रहीन या कुष्ठ रोगी हो, जिसका बायोमेट्रिक लेना संभव न हो, तब भी फोटो और गांव/परिवार जैसी जानकारी के आधार पर उसे विशिष्ट पहचान दी जाती है।

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