फ्लोर टेस्ट से पहले फड़नवीस से गले मिले उद्धव, पहले दिन सीएम को देखने पड़े भाजपा नेता के तल्ख तेवर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 30, 2019 18:30 IST2019-11-30T18:30:38+5:302019-11-30T18:30:38+5:30
शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन सरकार ने सदन में हुए मतदान में 169 मतों के साथ विश्वास मत हासिल किया। 288 सदस्यीय सदन में मतदान से पहले भाजपा के 105 विधायकों ने बहिर्गमन कर दिया। पूर्व सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने बहुमत परीक्षण और उद्धव ठाकरे के शपथ को संविधान के खिलाफ बताया।

शिवसेना, राकांपा एवं कांग्रेस गठबंधन को स्थायी अध्यक्ष के तहत शक्ति परीक्षण कराने में हार का भय सता रहा है।
सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास आघाड़ी सरकार के विश्वास मत से पहले विपक्षी दल भाजपा ने सदन से बहिर्गमन किया।
शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन सरकार ने सदन में हुए मतदान में 169 मतों के साथ विश्वास मत हासिल किया। 288 सदस्यीय सदन में मतदान से पहले भाजपा के 105 विधायकों ने बहिर्गमन कर दिया। पूर्व सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने बहुमत परीक्षण और उद्धव ठाकरे के शपथ को संविधान के खिलाफ बताया।
बहुमत परीक्षण के बीच में ही बीजेपी ने वॉक आउट कर दिया। ऐसे में पहले ही दिन सीएम उद्धव को पूर्व सीएम फड़नवीस के सख्त तेवर देखने पड़े। हालांकि हंगामे के बीच सीएम उद्धव ठाकरे, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस से गले मिलने के लिए विपक्ष के नेता की कुर्सी के पास गए थे। उद्धव ने फड़नवीस को गले लगाया।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार के विधानसभा में शक्ति परीक्षण से पहले विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने यह आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया कि इसका संचालन संवैधानिक मानदंडों के खिलाफ जा कर किया जा रहा है। विपक्षी दल ने सदन से बहिर्गमन करते हुए यह भी कहा कि इस मामले को वह प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के समक्ष उठायेंगे।
विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष व भाजपा के कालीदास कोलम्बकर को हटा कर उनके स्थान पर राकांपा के दिलीप वालसे पाटिल की नियुक्ति का भी भाजपा ने विरोध करते हुए कहा कि भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है क्योंकि शिवसेना, राकांपा एवं कांग्रेस गठबंधन को स्थायी अध्यक्ष के तहत शक्ति परीक्षण कराने में हार का भय सता रहा है।
महाराष्ट्र विधानसभा का शनिवार को यहां एक विशेष सत्र बुलाया गया था। पाटिल ने विश्वास मत पर सदस्यों की गिनती करने का आदेश दिया। इसके बाद भाजपा के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये। भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के नेता देवेंद्र फड़नवीस ने कहा, ‘‘विधानसभा की कार्यवाही में संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है। यह सत्र भी नियमों के अनुरूप नहीं है। ’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘विधानसभा का नया सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल के माध्यम से सम्मन जारी किये जाने की जरूरत थी। इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।’’ फड़नवीस ने आरोप लगाया कि ठाकरे और उनके छह मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह भी नियमों के अनुसार नहीं था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ ने बाला साहेब ठाकरे का, तो कुछ लोगों ने (कांग्रेस अध्यक्ष) सोनिया (गांधी) जी का और कुछ लोगों ने (राकांपा अध्यक्ष शरद) पवार साहब का नाम लिया। शपथ ग्रहण नियमित प्रारूप में किया जाना चाहिए था।’’ अस्थायी अध्यक्ष की निगरानी में शक्ति परीक्षण किये जाने के बारे में फड़नवीस ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि स्थायी अध्यक्ष के तहत सरकार को विश्वास मत में हार जाने का डर सता रहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘वह डरे हुए थे कि अगर स्थायी अध्यक्ष बना तो सरकार गिर जाएगी .....यही कारण है कि हमलोगों ने सदन का बहिर्गमन किया। हमलोग राज्यपाल को लिखने जा रहे हैं और उनसे कहेंगे कि सदन की कार्यवाही संविधान के नियमों के अनुरूप नहीं हुई है।’’ महाराष्ट्र के 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। इसके बाद शिवसेना का स्थान है जिसके पास 56 सीटें है । सदन में राकांपा और कांग्रेस के पास क्रमश: 54 एवं 44 सीटें हैं।