अमृतसर से दो दोस्त किसानों को "कछुआ छाप" अगरबत्ती बांटने सिंघू बॉर्डर पहुंचे
By भाषा | Updated: December 13, 2020 20:05 IST2020-12-13T20:05:02+5:302020-12-13T20:05:02+5:30

अमृतसर से दो दोस्त किसानों को "कछुआ छाप" अगरबत्ती बांटने सिंघू बॉर्डर पहुंचे
(गौरव सैनी)
नयी दिल्ली, 13 दिसंबर केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को अलग अलग तरीकों और कई वर्गों से समर्थन मिल रहा है जिनमें चिकित्सा, लंगर, गर्म कपड़े और पिज्जा तक शामिल है। वहीं सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच दो दोस्त मच्छर भगाने वाली "कछुआ छाप" अगरबत्ती बांट रहे हैं।
साहब सिंह पंजाब के अमृतसर जिले के चेतनापुर गांव से अपने साथ ‘‘कछुआ छाप’’ अगरबत्ती के 12 बक्से लेकर आए हैं। प्रत्येक कार्टन में 60 ऐसी अगरबत्ती हैं।
खुद खेती-बाड़ी करने वाले 36 वर्षीय साहब सिंह और उनके मित्र सुरमैल सिंह प्रदर्शन कर रहे किसानों को मच्छरों से "बचाने" के लिए सिंघू बॉर्डर पहुंचे हैं।
साहब सिंह ने कहा, " सब लोग कुछ न कुछ ला रहे हैं। हम कछुआ छाप अगरबत्ती लेकर आए हैं, क्योंकि बहुत से किसानों ने मच्छरों के काटने की शिकायत की है।"
किसान दो हफ्तों से ज्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका दावा है कि ये कानून उद्योग जगत की मदद करेंगे और मंडियों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म कर देंगे।
दोपहर में दोनों दोस्त कार की छत पर चढ़ गए और साहब सिंह लाउडस्पीकर पर हाथ में "कछुआ छाप" का पैकेट पकड़कर बोल रहे थे, " कछुआ जलाओ, मच्छर भगाओ।"
सुरमैल सिंह (26) ने कहा कि किसान खुले स्थानों पर डेरा डाले हुए हैं और यहां पर नालियां हैं जो मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल हैं।
दोनों शनिवार सुबह अमृतसर से निकले थे और रात में दिल्ली-हरियाणा सीमा पर पहुंच गए।
वे किसानों को "कछुआ छाप" अगरबत्ती बांटने के लिए हर ट्रैक्टर और टेंट में जाना चाहते हैं।
सुरमैल सिंह ने कहा, " कुछ लोग लंगर लगा रहे हैं तो कुछ चिकित्सा शिविर आयोजित कर रहे हैं। हम अपनी तरफ से यह कर रहे हैं।
साहब सिंह ने कहा, " यह भी सेवा है।
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