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लेह को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की बजाय जम्मू कश्मीर का हिस्सा दिखाने पर ट्विटर को नोटिस जारी

By भाषा | Updated: November 12, 2020 21:35 IST

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नयी दिल्ली, 12 नवम्बर सरकार ने लेह को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के बजाय जम्मू कश्मीर के हिस्से के रूप में दिखाने के लिए ट्विटर को नोटिस जारी किया है। यह जानकारी सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सूत्रों दी।

सूत्रों के अनुसार मंत्रालय ने अपने नोटिस में ट्विटर को पांच कार्यदिवसों के भीतर यह बताने का निर्देश दिया है कि गलत नक्शा दिखाकर भारत की क्षेत्रीय अखंडता का अनादर करने के लिए माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म और इसके प्रतिनिधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए।

सूत्रों ने कहा कि ट्विटर को नोटिस नौ नवंबर को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी किया गया।

मंत्रालय ने ट्विटर के वैश्विक उपाध्यक्ष को भेजे गए नोटिस में कहा कि लेह को जम्मू-कश्मीर के हिस्से के रूप में दिखाना माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म द्वारा भारत की संप्रभु संसद की इच्छा को कमतर करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है, जिसने लद्दाख को लेह में इसके मुख्यालय के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया है।

ट्विटर ने पहले लेह को चीन के हिस्से के रूप में दिखाया था, जिसके बाद आईटी सचिव ने कंपनी के सीईओ जैक डोर्सी को एक सख्त पत्र लिखा था।

जवाब में, ट्विटर ने चीन को जम्मू कश्मीर से बदल दिया था। हालांकि, लेह को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के हिस्से के रूप में दिखाने के लिए ट्विटर ने अभी तक नक्शे को सही नहीं किया है। वह लेह को अभी भी जम्मू कश्मीर के हिस्से के रूप में दिखा रहा है, जो भारत सरकार की आधिकारिक स्थिति के खिलाफ है।

पिछले महीने, ट्विटर की काफी आलोचना हुई थी और उसे सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के गुस्से का सामना करना पड़ा था, जब उसकी जियोटैगिंग सुविधा में लद्दाख में शहीद हुए सैनिकों के लेह स्थित स्मारक ‘हॉल ऑफ फ़ेम’ से सीधे प्रसारण में ‘‘जम्मू कश्मीर को चीनी जनवादी गणराज्य’ के हिस्से के तौर पर प्रदर्शित किया गया था।

इस पर नेट उपयोगकर्ताओं ने नाराजगी जतायी थी और मांग की थी कि माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की जाए।

इस बीच, उद्योग पर नजर रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि यदि नवीनतम नोटिस के बाद भी ट्विटर सुधार नहीं करता है तो संभावित विकल्पों में भारत में ट्विटर तक पहुंच पर प्रतिबंध लगाने के लिए आईटी अधिनियम की धारा 69 ए के तहत कार्रवाई शुरू करना शामिल हो सकता है।

उन्होंने कहा कि साथ ही, आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के तहत, सरकार एक प्राथमिकी दर्ज कर सकती है, जिसमें छह महीने तक के कारावास का प्रावधान है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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