देश में पहली बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीएम) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच पहली बार किसी चुनाव में सीधी टक्कर त्रिपुरा विधान सभा चुनाव 2018 में हुई। 18 फ़रवरी को राज्य की कुल 60 में से 59 सीटों के लिए मतदान हुआ था। चुनाव के बाद एग्जिट पोल्स में बीजेपी की जीत का अनुमान जताया गया। शनिवार (तीन मार्च) को हो रही मतगणना के दोपहर ढाई बजे तक के रुझान के अनुसार राज्य में बीजेपी और उसकी पार्टनर आईएफपीटी की सरकार बनना तय है। मौजूदा रुझान के अनुसार बीजेपी और उसकी जोड़ीदार 40-41 सीटों पर जीत हासिल कर सकते हैं। राज्य में सरकार बनाने के लिए केवल 31 सीटों पर जीत चाहिए थी। बीजेपी अकेले दम पर भी बहुमत का आंकड़ा छूती नजर आ रही है। उसे अकेले ही 33 सीटों पर बढ़त हासिल है। पिछले 25 सालों से राज्य की सत्ता में काबिज सीपीएम को 18 सीटों पर जीत मिलती दिख रही है। बीजेपी के सरकार बनने के आसार सामने आते ही राज्य के अगले मुख्यमंत्री के नाम की अटकलें लगाई जानी लगी है। इस रेस में सबसे आगे त्रिपुरा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब का नाम है।
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव नतीजे 2018 live updates
पार्टी को मिली निर्णायक बढ़त के बाद जब बीजेपी के महासचिव राम माधव अगरतला में जश्न मना रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच आए तो उनके साथ 48 वर्षीय बिप्लब कुमार देब भी थे। बिप्लब कुमार देब बनमालीपुर विधान सभा सीट से चुनावी अखाड़े में है। इस सीट से वो सीपीएम के निकटतम प्रतिद्वंद्वी से करीब 10 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं। बीजेपी के एक महासचिव न नाम न बताने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स अखबार से कहा कि बिप्लब कुमार देब मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे हैं।
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बिप्लब कुमार देब की पृष्ठभूमि उनके नाम को लेकर लग रही अटकल को और पुख्ता करती है। महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान, उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर की तरह बिप्लब भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूराने कार्यकर्ता रहे हैं। आरएसस के कार्यकर्ता बिप्लब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी रह चुके हैं। बिप्लब दिल्ली पढ़ाई के लिए आए थे। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में बिप्लब जिम इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं।
देब बीजेपी के सांसद गणेश सिंह के सहायक भी रह चुके हैं। गणेश सिंह मध्य प्रदेश की सतना सीट से लोक सभा सांसद थे। साल 2016 में उन्हें त्रिपुरा बीजेपी का अध्यक्ष बनाकर उनके गृह राज्य वापस भेज गया। बीजेपी के त्रिपुरा प्रभारी सुनील देवधर और आरएसएस के पुराने नेता गोविंदाचार्य को बिप्लब का मेंटर माना जाता है। बिप्लब को राम माधव का भी पसंदीदा माना जाता है।
बीजेपी के अंदर कुछ नेताओं ने चुनाव से पहले ही बिप्लब को सीएम कैंडिटेट घोषित करने की डिमांड की थी लेकिन आला कमान ने पहले चुनाव देने की नसीहत देकर इस मामले को टाल दिया। अब बीजेपी सत्ता की दहलीज पर खड़ी है। पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इस वक़्त इसी सवाल पर विचार कर रहे होंगे कि त्रिपुरा का पहला बीजेपी सीएम कौन होगा? बिप्लब कुमार देब या कोई और?
बीजेपी की जीत पक्की होती दिखते ही मीडिया ने बिप्लब कुमार देब से उनके सीएम बनने के बारे में पूछा। इस पर बिप्लब ने कहा, "मैं इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। ये फैसला पार्टी लेगी।"
शनिवार शाम बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक होनी है। जाहिर है इस बैठक में मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा होगी।