केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पेश किया। इस विधेयक में एक साथ तीन तलाक को अपराध करार दिया गया है और दोषी पाए जाने पर तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है। लेकिन अभी भी इस बिल में कई सारी ऐसी खामियां हैं जिन पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया हैं। कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने इस बिल की कुछ खामियां पेश की हैं।
- इस प्रस्तावित विधेयक में मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने की बात पेश की गई है, लेकिन उस गुजारे भत्ते के निर्धारण का तौर तरीका नहीं बताया गया है। 1986 के मुस्लिम महिला संबंधी एक कानून के तहत तलाक पाने वाली महिलाओं को गुजारा भत्ता मिल रहा है। इस कानून के आ जाने से पुराने कानून के जरिए मिलने वाला भत्ता बंद हो सकता है।
- इस कानून के लागू होने के बाद इसका दुरुपयोग मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ होने की आशंका भी है। क्योंकि विधेयक में तीन तलाक साबित करने की जिम्मेदारी केवल महिला पर है। महिलाएं के साथ अगर पुरुषों को भी इसको साबित करने की जिम्मेदारी दी जाती है तो कानून ज्यादा सख्त होगा ।
- सरकार ने अभी तक इस विधेयक में कोई विशेष निधि नहीं बनाई है। इसमें केवल महिला सशक्तीकरण को पेश किया गया है, लेकिव अभी तक महिला आरक्षण बिल सरकार अभी तक नहीं लाई। ऐसे में इस बिल की ये बड़ी खामी कही जा सकती है।
- महिलाओं के संगठन और मुस्लिम संगठनों ने भी खामियों को को माना है। उन्होंने कहा है इस कानून को और पुख्ता बनाने की आवश्यकता है। महिला संगठनों की मांग के अनुसार इस कानून को और मजबूत बनाकर इसे और महिला पक्षधर बनाने की जरूरत है।
-कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा इसकी कमियों को दूर करने के लिए विधेयक को संसदीय स्थाई समिति को भेजना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा, ''हम सभी महिला सशक्तीकरण चाहते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन एक महीने, 20 दिन या फिर 15 दिन की अवधि तय कर लें और स्थाई समिति में विस्तृत विचार-विमर्श के बाद विधेयक को लाया जाए।