अपनी जान देकर लश्कर के हमले से 3 पत्रकारों को बचाने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गयी

By भाषा | Published: November 3, 2020 08:10 PM2020-11-03T20:10:56+5:302020-11-03T20:10:56+5:30

Tributes paid to soldiers who saved 3 journalists from Lashkar's life by giving their lives | अपनी जान देकर लश्कर के हमले से 3 पत्रकारों को बचाने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गयी

अपनी जान देकर लश्कर के हमले से 3 पत्रकारों को बचाने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गयी

श्रीनगर, तीन नवंबर यहां बादामी बाग छावनी में 1999 में यह आम दिन था कि तभी मेजर प्रमोद पुरुषोत्तम के कक्ष में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी गोलियां बरसाते हुए घुस आए और सैन्य अधिकारी और उनके दल के पांच सदस्यों को मार डाला। यह इस छावनी पर हुआ पहला और एक मात्र फिदायीन हमला था।

इस घटना के 21 साल बाद मंगलवार को सेना ने अपने छह शहीद सैन्यकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी बहादुरी को सलाम किया। तब मेजर पुरुषोत्तम जनसंपर्क अधिकारी (रक्षा) के पद पर तैनात थे और उन्होंने उस शाम उनसे मिलने आए तीन कश्मीरी पत्रकारों और अपने एक साथी को बचाने के लिये दो आतंकवादियों के उनके कक्ष में घुसने से पहले ही शौचालय में बंद कर दिया।

सेना ने एक बयान में कहा, ‘‘आतंकवादियों के साथ हुई लड़ाई में उन्होंने और उनके साथियों ने मीडियाकर्मियों की जान बचाते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया।’’

छावनी में एक कार्यक्रम में दिवंगत अधिकारी और उनकी टीम -- सूबेदार ब्रह्मदास, हवलदार पी के महाराणा, सिपाही चौधरी रामजी भाई, मोहमद रजाउल हक और सी राधाकृष्णन की बहादुरी के निस्वार्थ कृत्य को याद किया गया।

रक्षा प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया और उनकी टीम ने अधिकारी एवं अन्य को श्रद्धासुमन अर्पित किय।

अतिरिक्त महानिदेशक (मीडिया एवं संचार) ए भारत भूषण बाबू ने भी वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने अपने कर्तव्य निर्वहन के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम बहादुर शहीदों के साहसिक कृत्य से सदैव प्रेरणा लेते रहेंगे।

Web Title: Tributes paid to soldiers who saved 3 journalists from Lashkar's life by giving their lives

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