जनजातीयों में स्त्री-पुरुष भेदभाव नहीं है, इसलिए उनमें स्त्री-पुरुष अनुपात बेहतर है : कोविन्द

By भाषा | Published: March 7, 2021 09:22 PM2021-03-07T21:22:59+5:302021-03-07T21:22:59+5:30

Tribals do not have gender discrimination, so they have better male-female ratio: Kovind | जनजातीयों में स्त्री-पुरुष भेदभाव नहीं है, इसलिए उनमें स्त्री-पुरुष अनुपात बेहतर है : कोविन्द

जनजातीयों में स्त्री-पुरुष भेदभाव नहीं है, इसलिए उनमें स्त्री-पुरुष अनुपात बेहतर है : कोविन्द

दामोह (मप्र), सात मार्च राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि जनजातीय समुदायों में स्त्रियों और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किए जाने के कारण उनमें स्त्री-पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर है।

इसके अलावा, शिक्षा को किसी भी व्यक्ति या समुदाय के विकास का सबसे प्रभावी माध्यम बताते हुए उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय के शैक्षिक विकास के लिए प्रयास करना बहुत महत्वपूर्ण है।

मध्य प्रदेश के दामोह जिले के ग्राम सिंग्रामपुर में सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य का शिलान्यास करने के बाद राज्य-स्तरीय जनजातीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कोविन्द ने कहा, ‘‘हम सबको अपने जनजातीय भाई-बहनों से बहुत कुछ सीखना चाहिए। जनजातीय समुदायों में एकता-मूलक समाज को बनाए रखने पर जोर दिया जाता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनमें (जनजातीय समुदायों में) स्त्रियों और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता है। इसलिए जनजातीय आबादी में स्त्री-पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर है।’’

उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदायों में व्यक्ति के स्थान पर समूह को प्राथमिकता दी जाती है, प्रतिस्पर्धा की जगह सहयोग को प्रोत्साहित किया जाता है तथा उनकी जीवनशैली में प्रकृति को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है।

कोविन्द ने कहा कि आदिवासी जीवन संस्कृति में सहजता होती है तथा परिश्रम का सम्मान होता है।

उन्होंने कहा कि यदि आपको मानवता की जड़ों से जुड़ना है तो आपको जनजातीय समुदायों के जीवन-मूल्यों को अपनी जीवनशैली में लाने का प्रयास करना चाहिए।

कोविन्द ने कहा कि जनजातीय समुदायों में परम्परागत ज्ञान का अक्षय भण्डार संचित है। उन्होंने मध्यप्रदेश में एक विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा का उल्लेख करते हुये कहा, ‘‘इस समुदाय के लोग परम्परागत चिकित्सा के विषय में बहुत जानकारी रखते हैं। प्रायः वे असाध्य रोगों का अचूक इलाज भी करते हैं। परम्परागत आयुर्वेदिक औषधियों के प्र-संस्करण एवं निर्माण की योजनाओं में जनजातीय समुदाय की भागीदारी बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।’’

उन्होंने जनजातियों के ज्ञान को आधुनिक माध्यम से प्रसारित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

कोविन्द ने कहा कि ‘मेड इन इंडिया’ के साथ-साथ ‘हैण्ड मेड इन इंडिया’ को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प के क्षेत्र में हमारे आदिवासी भाई-बहन अद्भुत कौशल के धनी हैं। प्रयास यह होना चाहिए कि उनके हस्तशिल्प के उत्पादों को अच्छी कीमत और व्यापक स्तर पर बाजार मिल सके।

कोविन्द ने कहा कि सिंगौरगढ़ क्षेत्र को ‘नेशनल ट्रायबल हब’ के रूप में विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण के लिये किये जा रहे कार्यों से भविष्य में यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।

उन्होंने चंबल, मालवा, बुन्देलखण्ड, महाकौशल एवं बघेलखण्ड की विरासतों को सहेजने की दिशा में भी बेहतर कार्य करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद पटेल इस दिशा में प्रयास करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षण संस्थान जनजातीय ज्ञान एवं शिल्प परम्परा का व्यापक स्तर पर उपयोगी अध्ययन कर सकते हैं। ऐसे अध्ययनों का लाभ पूरे देश को मिलेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा ही किसी भी व्यक्ति या समुदाय के विकास का सबसे प्रभावी माध्यम होता है। अत: जनजातीय समुदाय के शैक्षिक विकास के लिये प्रयास करना आवश्यक है।’’

उन्होंने मध्यप्रदेश में किये जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह प्रशंसा की बात है कि मध्यप्रदेश में एकलव्य जनजातीय आवासीय विद्यालयों के निर्माण एवं संचालन पर विशेष बल दिया जा रहा है।उनका कहना था कि साक्षरता और शिक्षा के प्रसार के लिये मध्यप्रदेश में कन्या शिक्षा परिसरों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने रानी दुर्गावती एवं शंकरशाह के नाम से स्थापित किये गये पुरुस्कारों की सराहना भी की।

कोविन्द ने शासन की योजनाओं की जानकारी का उल्लेख भी अपने उद्बोधन में किया। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण योजना अनुसूचित जनजाति विकास के लिये विशेष योजना है। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा योजना के तहत रियायती दर पर वित्तीय सहायता दी जाती है। हमारी जनजातीय बहनों और बेटियों को ऐसी योजनाओं से मदद लेकर आगे बढ़ना चाहिए। हम सबको मिलकर यह प्रयास करना है कि हमारे जनजातीय भाईयों, बहनों को आधुनिक विकास में भागीदारी करने का लाभ मिले और साथ ही उनकी जनजातीय पहचान और अस्मिता भी अपने सहज रुप में बनी रहे।’’

राष्ट्रपति ने सिंग्रामपुर में सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य का शिलान्यास किया। यह किला गोंडवाना साम्राज्य की रानी दुर्गावती से जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नये गठित किये जबलपुर मण्डल को भी लोकार्पित किया। इस अवसर पर उन्होंने जिले में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने की दृष्टि से 23.16 करोड़ रुपए की राशि के स्वीकृत कार्यों का भी शिलान्यास किया।

इसके बाद कोविंद मध्य प्रदेश के दो दिवसीय दौरा पूरा करने के बाद रविवार को जबलपुर के डुमना हवाई अड्डे से नयी दिल्ली के लिए रवाना हो गये। दोपहर 3.30 बजे वायुसेना के विमान से कोविंद ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी।

मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जबलपुर के डुमना हवाई अड्डे पर उन्हें विदाई दी।

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Web Title: Tribals do not have gender discrimination, so they have better male-female ratio: Kovind

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