शरणार्थी शिविरों में बुनियादी सुविधाओं के अनुरोध वाली याचिकाओं को अभ्यावेदन मानें: अदालत

By भाषा | Updated: August 5, 2021 14:12 IST2021-08-05T14:12:44+5:302021-08-05T14:12:44+5:30

Treat petitions seeking basic amenities in refugee camps as representations: Court | शरणार्थी शिविरों में बुनियादी सुविधाओं के अनुरोध वाली याचिकाओं को अभ्यावेदन मानें: अदालत

शरणार्थी शिविरों में बुनियादी सुविधाओं के अनुरोध वाली याचिकाओं को अभ्यावेदन मानें: अदालत

नयी दिल्ली, पांच अगस्त दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आप सरकार को यहां शरणार्थी शिविरों में रहने वाले लोगों के लिए बुनियादी सुविधाओं के अनुरोध वाली याचिका पर अभ्यावेदन के तौर पर विचार करने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की एक पीठ ने संबंधित अधिकारियों को अभ्यावेदनों पर तथ्यों पर लागू कानून और नीति के अनुसार निर्णय करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति पटेल ने कहा, ‘‘इस याचिका को प्रतिवादियों द्वारा एक अभ्यावेदन माना जाएगा। आप सीधे अदालत क्यों आ रहे हैं?’’ न्यायमूर्ति पटेल ने यह टिप्पणी एक गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) के संस्थापक और चार अन्य लोगों द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिन्होंने दावा किया था कि वे ‘‘जातीय भेदभाव’’ के कारण ‘‘पाकिस्तान से भागकर आये’’ हैं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गौतम झा ने कहा कि जिस स्थिति में शरणार्थी, जो ‘‘हमारे पड़ोसी देश से प्रताड़ित अल्पसंख्यक हैं, मजनू का टीला और सिग्नेचर ब्रिज के शिविरों में रह रहे हैं वह भयावह है और लैंगिक आधारित जोखिम को बढ़ाता है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार शिविरों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए बाध्य है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश के बावजूद, प्राधिकारियों द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया।

याचिका में कहा गया है, ‘‘यह भारत सरकार की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी है कि वह पाकिस्तान में प्रताड़ित अल्पसंख्यक लोगों और भारत आने वाले सभी लोगों की देखभाल करे, उन्हें टिकाऊ समाधान प्रदान करे और उन्हें समाज में एकीकृत करे।’’

याचिका में कहा गया है कि ‘‘शिविरों में रहने वाले उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समुदायों के लिए कदम नहीं उठाना और उनके प्रति सहानुभूति की कमी’’ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।

याचिका में अनुरोध किया गया है कि शरण चाहने वालों को पानी, स्वच्छता और बिजली जैसी बुनियादी जरूरतें मुहैया कराई जाएं।

टिकाऊ समाधान खोजने के संबंध में निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिक समाज को शामिल करना सुनिश्चित करने के लिए एक निर्देश का भी अनुरोध किया गया।

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Web Title: Treat petitions seeking basic amenities in refugee camps as representations: Court

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