एनसीसी में दाखिला लेने के लिए अदालत से मंजूरी मिलने के बाद ट्रांसवुमन हिना हनीफा सभी के लिए प्रेरणा श्रोत बनना चाहती है

By भाषा | Published: March 18, 2021 07:11 PM2021-03-18T19:11:45+5:302021-03-18T19:11:45+5:30

Transwoman Hina Hanifa wants to be a source of inspiration for all, after getting approval from the court to enroll in NCC | एनसीसी में दाखिला लेने के लिए अदालत से मंजूरी मिलने के बाद ट्रांसवुमन हिना हनीफा सभी के लिए प्रेरणा श्रोत बनना चाहती है

एनसीसी में दाखिला लेने के लिए अदालत से मंजूरी मिलने के बाद ट्रांसवुमन हिना हनीफा सभी के लिए प्रेरणा श्रोत बनना चाहती है

(टी जी बीजू)

कोच्चि, 18 मार्च केरल उच्च न्यायालय से राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) में शामिल होने की मंजूरी हासिल करने वाली युवा ट्रांसवुमन हिना हनीफा का कहना है कि वह सभी के लिए प्रेरणा श्रोत बनना चाहती है, खासकर उन लोगों के लिए जो समाज में हाशिए पर हैं।

गौरतलब है कि केरल उच्च न्यायालय ने इस हफ्ते ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हनीफा को एनसीसी में शामिल होने की मंजूरी दी थी।

हनीफा का जन्म मलप्पुरम जिले में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनकी तीन बहनें हैं। बारहवीं कक्षा की पढ़ाई करने के दौरान अपनी पहचान घोषित करने के बाद उसे काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा।

अंत में, धर्मनिरपेक्ष विचारों वाली हनीफा ने 2017 में अपना वास्तविक जीवन जीने के लिए अपने परिवार को छोड़ दिया।

तीन साल बाद, उसने 20 साल की उम्र में एक सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी कराई।

अब 22 साल की हनीफा केरल विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले तिरुवनंतपुरम के एक कॉलेज में बीए (इतिहास) प्रथम वर्ष की छात्रा है।

वह राज्य की राजधानी में अपने एक ट्रांसमैन साथी के साथ एक खुशहाल जीवन जी रही है।

हनीफा ने एक साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा को बताया, "जब मैं अपने स्कूल के दिनों में एक पुरुष छात्र थी, तब मैं जूनियर स्तर पर एनसीसी में शामिल हुई थी। लेकिन मुझे कॉलेज में एनसीसी में शामिल होने में कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ा क्योंकि मैंने सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी कराई थी। मुझे इस आधार पर एनसीसी इकाई में प्रवेश से मना कर दिया गया था कि ट्रांसजेंडर छात्रों के उसमें दाखिला का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए, मैंने इसे कानूनी रूप से लड़ने का फैसला किया।"

उसने कहा कि उसे एनसीसी प्रवेश नहीं देने का निर्णय ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन था।

15 मार्च को अपने ऐतिहासिक आदेश में, उच्च न्यायालय ने हनीफा की एनसीसी में प्रवेश की मांग वाली याचिका को मंजूरी दी थी।

अदालत के आदेश से उत्साहित हनीफा ने कहा, "मैं सभी के लिए प्रेरणा बनना चाहती हूं।"

उन्होंने कहा, "न केवल मेरे समुदाय के लिए बल्कि उन लोगों के लिए भी जिन्हें विभिन्न कारणों से दरकिनार या हाशिए पर रखा गया है। मैं यह साबित करना चाहती हूं कि वे इस समाज में सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं।"

उसने कहा, "जब मैंने अपनी लिंग पहचान का खुलासा किया, तो मुझे अपने परिवार से बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। मैं अपने परिवार में तीन बहनों के एक भाई के रूप में पैदा हुयी थी । वे सभी बहुत परेशान थे। उन्हें कोझीकोड में काउंसलिंग के लिए ले जाया गया था। अब, उन्होंने मुझसे सारे संबंध तोड़ लिए हैं।”

उसने कहा कि जब उसने 2017 में घर छोड़ा था, तो उसने हार न मानने का फैसला किया था।

हनीफा ने कहा कि उसकी महत्वाकांक्षा एक आईपीएस अधिकारी बनने की है।

उसने कहा, "उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मैं अगले साल सिविल सेवा परीक्षा की कोचिंग लूंगी।

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