आज देश के सर्वोच्च अदालत में किसान आंदोलन पर होगी सुनवाई, जानें इस मामले से जुड़ी 10 बड़ी बातें

By अनुराग आनंद | Published: January 11, 2021 08:54 AM2021-01-11T08:54:51+5:302021-01-11T08:57:24+5:30

तीनों कानून के विरोध कर रहे किसान संगठनों ने साफ कहा है कि वह मामले को सुप्रीम कोर्ट में नहीं ले जाएंगे। किसानों का कहना है कि यह एक राजनीतिक तरह से हल होने वाला मामला है। इसे सरकार ही बेहतर तरह से हल कर सकती है, ऐसे में मामले को कोर्ट ले जाना सही नहीं है।

today SC to hear pleas on farm laws, removal of farmers from Delhi borders | आज देश के सर्वोच्च अदालत में किसान आंदोलन पर होगी सुनवाई, जानें इस मामले से जुड़ी 10 बड़ी बातें

किसानों के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई (फाइल फोटो)

Highlightsकिसानों ने कहा कि कानूनों को रद्द करने की मांग नहीं मानी जाएगी तो वे दिल्ली की सभी सीमाओं को जल्द ही बंद कर देंगे।किसानों ने कहा कि तीनों नए कानूनों को लेकर बने राजनीतिक गतिरोध को सुलझाने में उच्चतम न्यायालय की भूमिका नहीं है और नहीं होनी चाहिए।

नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध बरकरार रहने के बीच उच्चतम न्यायालय नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर आज (सोमवार) को सुनवाई करेगा। 

केंद्र और किसान संगठनों के बीच सात जनवरी को हुई आठवें दौर की बाचतीच में भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आया क्योंकि केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया जबकि किसान नेताओं ने कहा कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिये तैयार हैं और उनकी “घर वापसी” सिर्फ “कानून वापसी” के बाद होगी।

ऐसे में आज प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा की जानी वाली सुनवाई महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक निर्धारित है।

इस मामले में ताजा अपडेट व इससे जुड़ी 10 अहम बातें ये हैं-

1 इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम स्थिति को समझते हैं और चर्चा को बढ़ावा देते हैं। हम सोमवार (11 जनवरी) को मामला स्थगित कर सकते हैं अगर आप जारी वार्ता प्रक्रिया की वजह से ऐसा अनुरोध करेंगे तो। लेकिन, आठवें दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि किसान नेताओं ने कानून को निरस्त करने की अपनी मांग का कोई विकल्प नहीं सुझाया। ऐसे में देखना यह है कि इस मामले को आज कोर्ट में टाला जाता है या सुनवाई होगी।

2 किसानों द्वारा भारी विरोध के बीच एक ऐसी किसानों की संस्था भी है, जो सरकार के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।‘कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स असोसिएशन’ (सीआईएफए) नाम के इस संस्था ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया और मामले में पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध किया। उसने कहा कि कानून किसानों के लिये “फायदेमंद” हैं और इनसे कृषि में विकास और वृद्धि आएगी। 

3 तीनों कानून के विरोध कर रहे किसान संगठनों ने साफ कहा है कि वह मामले को सुप्रीम कोर्ट में नहीं ले जाएंगे। किसानों का कहना है कि यह एक राजनीतिक तरह से हल होने वाला मामला है।  इसे सरकार ही बेहतर तरह से हल कर सकती है, ऐसे में मामले को कोर्ट ले जाना सही नहीं है। ऐसे में हम अपनी मांग सरकार से ही मांगेंगे और हरहाल में लेकर रहेंगे।

4 पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले तीनों विवादित कृषि कानूनों को लेकर दायर कई याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा था।

5 ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी) ने रविवार को कहा कि सरकार को नए कृषि कानूनों पर बने ‘‘राजनीतिक गतिरोध’’ का समाधान उच्चतम न्यायालय के दखल के बगैर निकालना चाहिए। 

6 किसान संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि प्रदर्शनकारी किसानों की कानूनों को रद्द करने की मांग नहीं मानी जाएगी तो वे ‘‘दिल्ली की सभी सीमाओं को जल्द ही बंद कर देंगे।’’ उच्चतम न्यायालय में नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं तथा किसानों के जारी आंदोलन से जुड़े मुद्दों वाली याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई से पहले संगठन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ‘‘कॉरपोरेट घरानों के दबाव’’ में लागू किए गए कानूनों को लेकर बने ‘‘राजनीतिक गतिरोध को सुलझाने में’’ उच्चतम न्यायालय की ‘‘भूमिका नहीं है और नहीं होनी चाहिए।’’

7 किसानों में गतिरोध के बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता राकेश टिकैत ने रविवार को यहां कहा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड में एक तरफ टैंक चलेंगे तो दूसरी तरफ हमारे तिरंगा लगे हुए ट्रैक्टर। टिकैत ने कहा, ''26 जनवरी को दिल्‍ली में गणतंत्र दिवस की परेड में एक तरफ टैंक चलेंगे और दूसरी तरफ हमारे तिरंगा लगे हुए ट्रैक्‍टर। वो हम पर लाठी चलाएंगे और हम राष्‍ट्रगान गाएंगे।'' बागपत के बड़ौत में किसानों के धरने में पहुंचे राकेश टिकैत ने दावा किया कि जब तक तीन कृषि कानूनों की वापसी नहीं होती तब तक किसानों की घर वापसी नहीं होगी।

8 उत्तर-पश्चिमी दिल्ली की पुलिस उपायुक्त विजयंता आर्य समेत दिल्ली के कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं के प्रतिनिधियों से रविवार को मुलाकात की। यह बैठक गणतंत्र दिवस से कुछ दिन पहले हुई है।

9 दिल्ली बॉर्डर पर हो रहे किसान आंदोलन का असर पूरे पंजाब व हरियाणा में देखने को मिल रहा है। हरियाणा के करनाल में बीते दिन मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर की सभा वाली जगह पर हुए विरोध को लेकर अब सरकार ने किसानों पर एक्शन लिया है। पुलिस के द्वारा इस मामले में 71 लोगों पर FIR दर्ज कर ली गई है। इस मामले में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा है। बता दें कि किसानों के कड़े विरोध के बाद ही सीएम खट्टर को अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था।

10 केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघू बॉर्डर (Singhu Border) पर प्रदर्शन में भाग ले रहे पंजाब के 40 वर्षीय एक किसान ने शनिवार शाम को जहरीला पदार्थ खाकर कथित रूप से आत्महत्या (Sucide) कर ली। हरियाणा पुलिस (Haryana Police) ने यह जानकारी दी है। अब तक 50 से अधिक किसानों की मौत आंदोलन के दौरान होने की खबर सामने आ रही है। 
 

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