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आपसी लड़ाई के चलते हाथियों के बच्चों को खा रहे बाघ, केंद्र सरकार ने वन विभाग से मांगी रिपोर्ट

By भाषा | Updated: June 24, 2019 08:26 IST

अध्ययन के मुताबिक, 2014 से 31 मई 2019 तक प्रजनन को लेकर हुई आपस में लड़ाई के चलते कुल नौ बाघ, 21 हाथी और छह तेंदुए मारे गए.

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ठळक मुद्देहाथी को मारने से उन्हें काफी मात्रा में भोजन मिल जाता है.आपस में लड़ाई के चलते कुल नौ बाघ, 21 हाथी और छह तेंदुए मारे गए.

केंद्र सरकार ने कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों द्वारा किए गए एक अध्ययन को लेकर उत्तराखंड के वन विभाग से एक रिपोर्ट मांगी है. दरअसल इस अध्ययन के मुताबिक उद्यान में बाघ हाथियों को, खास तौर पर उनके बच्चों को मार कर खा रहे हैं. अधिकारियों ने आज बताया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन से इस विषय पर एक रिपोर्ट मांगी है.

अध्ययन के मुताबिक, 2014 से 31 मई 2019 तक प्रजनन को लेकर हुई आपस में लड़ाई के चलते कुल नौ बाघ, 21 हाथी और छह तेंदुए मारे गए. ''वन्य जंतुओं की तीन प्रजातियों के कुल 36 मामलों में 21 मामले केवल हाथियों के थे. हालांकि, एक काफी आश्चर्यजनक पहलू यह है कि करीब 60 फीसदी जंगली हाथियों की मौत (13 मामले) बाघों के हमले की वजह से और खासतौर पर हाथियों के बच्चों को निशाना बनाया गया.''

वरिष्ठ आईएफएस (भारतीय वन सेवा) अधिकारी और राष्ट्रीय उद्यान के प्रभारी संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि बाघों द्वारा हाथियों को खाने की घटना अनूठी है. उद्यान के निदेशक चतुर्वेदी ने कहा, ''इसका एक कारण यह हो सकता है कि सांभर और चीतल जैसे जंतुओं के शिकार की तुलना में हाथी के शिकार में बाघों को कम ऊर्जा और प्रयास करने की जरूरत पड़ती है.

साथ ही, हाथी को मारने से उन्हें काफी मात्रा में भोजन मिल जाता है.''उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय उद्यान की पारिस्थितिकी भी अनूठी है क्योंकि यहां 225 बाघ और करीब 1,100 जंगली हाथी हैं जबकि रणथंभौर, कान्हा और बांधवगढ़ जैसे दूसरे राष्ट्रीय उद्यानों में मुख्य रूप से बाघ ही हैं.

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