अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर ‘लिटिल काबुल’ में इस बार माहौल फीका

By भाषा | Published: August 19, 2021 06:21 PM2021-08-19T18:21:54+5:302021-08-19T18:21:54+5:30

This time the atmosphere faded in 'Little Kabul' on Afghanistan's Independence Day | अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर ‘लिटिल काबुल’ में इस बार माहौल फीका

अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर ‘लिटिल काबुल’ में इस बार माहौल फीका

अफगानिस्तान को 19 अगस्त 1919 को ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन से आज़ादी मिली थी और राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाला अफगान समुदाय हर साल अपना स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास से मनाता आया है लेकिन इस साल अफगानिस्तान पर तालिबान की फतह की वजह से दिल्ली के ‘लिटिल काबुल’ में माहौल फीका है। दिल्ली के लाजपत नगर, भोगल और हजरत निजामुद्दीन इलाकों में रेस्तरां एवं दुकानों पर लोगों की आमद कम है। अपने पिता की मौत के बाद 2015 में काबुल से दिल्ली आई शरीफा आशूरी (23) कहती हैं कि अफगानिस्तान में जो हो रहा है, ‘‘ वह हमारे दिलो-दिमाग पर हावी है।” लाजपत नगर को दिल्ली का ‘लिटिल काबुल’ कहा जाता है। शरीफा वहां एक रेस्तरां में काम करती हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से अपने वतन के बारे में जानकारी हासिल कर रही हैं। आशूरी ने पीटीआई-भाषा से कहा, “मेरे पिता सेना में काम करते थे, लेकिन बाद में उन्हें मार दिया गया। मेरी मां और मैं परिवार के अन्य सदस्यों के साथ परवान प्रांत के अपने गांव से काबुल और फिर बाद में भारत आ गई, क्योंकि हम वहां सुरक्षित महसूस नहीं करते थे। हम भारत में सुरक्षित महसूस करते हैं।” आशूरी ने काले रंग की टी शर्ट पहली पहनी हुई थी और उनके बाएं हाथ की कलाई पर एक टैटू बना हुआ था। हालांकि उन्होंने सिर पर दुपट्टा डाला हुआ था। उन्होंने कहा, “ मैं भारत में आराम से जींस या टी-शर्ट पहन सकती हूं लेकिन अफगानिस्तान में अगर तालिबानी मुझे ऐसे कपड़ों में देख लेते तो मेरी अब तक गोली मार कर हत्या कर दी जाती।”इलाके में अधिकतर रेस्तरां में जोश फीका है, रेस्तरां पर काम करने वाले अफगान नागरिक अपने देश अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर चर्चा कर रहे हैं और देश का झंडा भी नहीं लगाया गया है। लाजपत नगर में रहने वाले मोहम्मद शफीक 2016 में काबुल से दिल्ली आ गए थे। उन्होंने कहा, “वे (तालिबान) कट्टरपंथी हैं, और वे महिलाओं के लिए शिक्षा या स्वतंत्रता नहीं होने देंगे। अभी, वे उदारवादी या सुधारवादी दिखने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें सरकार बनानी है। मेरा अफगानिस्तान जैसा था, वैसा नहीं रहा, मेरा देश तबाह हो गया है। ऐसे में स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाया जाए, जब हमारे वतन में हमारे भाई बहन डर के साय में जी रहे हैं।” अफ़गानिस्तान ने 1919 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन को उखाड़ फेंका था, जिसके बाद अमानुल्लाह खान इसके पहले संप्रभु शासक बने थे जो अफ़गानों के बीच एक सम्मानित शख्सियत हैं।

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