आजादी से पहले लॉन्च किए गए थे ये भारतीय उत्पाद, आज भी कायम है जलवा, जानिए

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 15, 2023 06:20 PM2023-08-15T18:20:54+5:302023-08-15T18:22:19+5:30

आजादी से पहले लॉन्च किए गए कई भारतीय उत्पाद आज भी अस्तित्व में हैं और फल-फूल रहे हैं। स्वतंत्रता-पूर्व भारत में ब्रिटिश उत्पादों का मुकाबला करने के लिए कुछ भारतीय उद्यमियों ने तब भी पूरा जोर लगाया था और अब आजादी के 76 साल बाद भी इन उत्पादों का जलवा कायम है।

These Indian products were launched before independence are still doing good business | आजादी से पहले लॉन्च किए गए थे ये भारतीय उत्पाद, आज भी कायम है जलवा, जानिए

अब भी कुछ उत्पादों का जलवा कायम है जो आजादी से पहले लॉन्च किए गए थे

Highlightsअब भी कुछ उत्पादों का जलवा कायम है जो आजादी से पहले लॉन्च किए गए थेबोरोलीन, पारले-जी और रूह अफ़ज़ा का नाम सबसे आगेभारत के सबसे बड़े समूह टाटा का योगदान भी बेहद अहम

नई दिल्ली: लंबे संघर्ष के बाद जब भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली तब देश में उद्योग-धंधों की स्तिथि बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन  आजादी से पहले लॉन्च किए गए कई भारतीय उत्पाद आज भी अस्तित्व में हैं और फल-फूल रहे हैं।  स्वतंत्रता-पूर्व भारत में ब्रिटिश उत्पादों का मुकाबला करने के लिए कुछ भारतीय उद्यमियों ने तब भी पूरा जोर लगाया था और अब आजादी के 76 साल बाद भी इन उत्पादों का जलवा कायम है।

इन्हीं में से एक उत्पाद है बोरोलीन। ये एक हरे रंग की ट्यूब में आती है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में इसके हाथी लोगो के लिए इसे हाथीवाला क्रीम भी  कहा जाता है। बोरोलीन का निर्माण कोलकाता स्थित जीडी फार्मास्यूटिकल्स द्वारा किया जाता है। इसे लॉन्च हुए 94 साल हो गए लेकिन प्रतिस्पर्धी कॉस्मेटिक बाजार के बीच भी इसका जलवा कायम है। उद्यमी  गौर मोहन दत्ता ने स्वदेशी आंदोलन में शामिल होने का फैसला लेने के बाद इसकी शुरुआत की थी। 

इस कड़ी में दूसरा नाम है गर्मियों में पिए जाने वाले एक प्रमुख पदार्थ रूह अफ़ज़ा का। स्वतंत्रता-पूर्व भारत में इसे गर्मी से राहत पाने के लिए एक हर्बल मिश्रण के रूप में शुरू किया गया था।  बाद में यह एक प्रमुख उत्पाद बन गया। रूह अफ़ज़ा की शुरुआत 1907 में हकीम हाफ़िज़ अब्दुल मजीद द्वारा की गई थी और इसे पुरानी दिल्ली से लॉन्च किया गया था। वर्तमान में, रूह अफ़ज़ा का निर्माण मजीद और उनके बेटों द्वारा स्थापित कंपनियों, हमदर्द लेबोरेटरीज इंडिया द्वारा किया जाता है। ये पाकिस्तान और बंग्लादेश में भी हैं।

इस कड़ी में भारत के सबसे बड़े समूह टाटा के योगदान के बारे में बात करना भी महत्वपूर्ण है। मुंबई में ताज महल पैलेस होटल 1903 से विश्व प्रसिद्ध मेहमानों, रॉयल्टी से लेकर गणमान्य व्यक्तियों तक की मेजबानी कर रहा है। ताज महल पैलेस होटल को भारतीय आर्किटेक्ट रावसाहेब वैद्य और डीएन मिर्जा द्वारा डिजाइन किया गया था। होटल की नींव 1898 में रखी गई थी और इसे सोराबजी कॉन्ट्रैक्टर ने बनवाया था। 16 दिसंबर, 1903 को पहली बार इस होटल में 17 मेहमान ठहरे थे। आज ताज महल पैलेस होटल भारत की पहचान है। 

इस कड़ी में अगर  पारले-जी का नाम न लिया जाए तो बात अधूरी रहेगी। एक लड़की की तस्वीर की वाली पैकेजिंग और अपने दाम और स्वाद के कारण ये बिस्किट आम भारतीय का बिस्किट बन गया था। पारले हाउस की स्थापना 1928 में मोहनलाल दयाल ने की थी।  1938 में  पहला पारले-जी (तब पारले ग्लूको कहा जाता था) बिस्किट बेक किया गया था। आज भी इस ब्रॉन्ड का जलवा बरकरार है। इसमें कुछ खास परिवर्तन भी नहीं हुआ है। बस अब कागज की पैकेजिंग की जगह बिस्किट प्लास्टिक के पैक में मिलता है। आज भी भारत में एक बड़े वर्ग के दिन की शुरुआत चाय के साथ पारले-जी के साथ होती है। 

Web Title: These Indian products were launched before independence are still doing good business

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