तीसरी तिमाही में पोस्ट की गई हर 10,000 सामग्रियों में 10 से 11 नफरत फैलाने वाली थीं: फेसबुक
By भाषा | Published: November 20, 2020 06:44 PM2020-11-20T18:44:18+5:302020-11-20T18:44:18+5:30
नयी दिल्ली, 20 नवम्बर सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ ने पहली बार अपने मंच पर मौजूद नफरत फैलाने वाली सामग्रियों का खुलासा करते हुए कहा कि तीसरी तिमाही में पोस्ट की गई सामग्रियों के विश्लेषण में हर 10,000 पोस्ट में से 10 से 11 नफरत फैलाने वाली
थीं।
दुनियाभर में रोजाना करीब 182 करोड़ लोग फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं। भारत इसका सबसे बड़ा बाजार है, जहां हाल ही में नफरत फैलाने वाली पोस्ट से निपटने के इसके तरीकों को लेकर काफी विवाद खड़ा हो गया था।
सितम्बर 2020 तिमाही की अपनी ‘कम्युनिटी स्टैंडर्ड एन्फोर्समेंट रिपोर्ट’ में फेसबुक ने कहा कि ‘‘वह पहली बार’’ दुनिया भर में अपने मंच पर मौजूद नफरत फैलाने वाली सामग्रियों की जानकारी साझा कर रही है।
उसने कहा, ‘‘2020 की तीसरी तिमाही में 0.10 या 0.11 प्रतिशत नफरत फैलाने वाली सामग्रियां थी, कहा जा सकता है कि करीब 10,000 सामग्री के विश्लेषण में 10 से 11 प्रतिशत नफरत फैलाने वाली सामग्रियां थी।’’
फेसबुक ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता में अपने निवेश के कारण, कम्पनी नफरत फैलाने वाली सामग्रियां हटाने में अधिक सक्षम हुई है और उपयोगकर्ताओं द्वारा इसकी रिपोर्ट करने से पहले इसे हटाया गया है।
तीसरी तिमाही के दौरान फेसबुक ने नफरत फैलाने वाली 2.21 करोड़ सामग्री पर कार्रवाई की जिनमें से लगभग 95 प्रतिशत की पहचान सटीक रूप से की गई।
उसने कहा कि इंस्टाग्राम पर, कम्पनी ने नफरत फैलाने वाली 65 लाख सामग्रियों के खिलाफ कार्रवाई की गई।
फेसबुक के उपाध्यक्ष (इंटीग्रिटी) जी रोसेन ने कहा कि कम्पनी अतिरिक्त नीतियों को शामिल करने के लिए अपनी ‘कम्युनिटी स्टैंडर्ड’ वेबसाइट को भी अद्यतन कर रही है।
उन्होंने कहा कि इन नीतियों में अक्सर विशेष टीमों को निर्णय लेने के लिए किसी दिए गए मुद्दे पर अधिक जानकारी एकत्र करने की आवश्यकता होती है।
‘कम्युनिटी स्टैंडर्ड एन्फोर्समेंट रिपोर्ट’ फेसबुक की द्विवार्षिक ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के साथ प्रकाशित की जाती है।
इसमें कहा गया है कि 2020 के पहले छह महीनों के दौरान, वैश्विक स्तर पर उपयोगकर्ता डेटा के लिए सरकारी अनुरोध 23 प्रतिशत बढ़कर 1,40,875 से 1,73,592 हो गये है।
इसमें कहा गया है कि भारत, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के बाद अमेरिका ने सबसे अधिक संख्या में अनुरोध प्रस्तुत करना जारी रखा है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।