कोविड मरीजों के उपचार के लिए सभी डॉक्टरों को एक श्रेणी में रखने में कुछ भी गलत नहीं : उच्च न्यायालय

By भाषा | Published: May 24, 2021 04:02 PM2021-05-24T16:02:35+5:302021-05-24T16:02:35+5:30

There is nothing wrong in putting all doctors in a category for treatment of Kovid patients: High Court | कोविड मरीजों के उपचार के लिए सभी डॉक्टरों को एक श्रेणी में रखने में कुछ भी गलत नहीं : उच्च न्यायालय

कोविड मरीजों के उपचार के लिए सभी डॉक्टरों को एक श्रेणी में रखने में कुछ भी गलत नहीं : उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 24 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा वरिष्ठता और विशेषज्ञता को परे रखकर कोविड मरीजों के उपचार के लिए सभी डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को एक श्रेणी में काम करने का निर्देश देने के फैसले में कुछ भी गलत नहीं है। अदालत ने कहा कि इसमें ‘‘अहं’’ का कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि 16 मई की अधिसूचना में ‘प्रथम दृष्टया’ कुछ भी गलत नहीं है जिसे डॉक्टरों की कोविड ड्यूटी के संबंध में तैयार किया गया है और ऐसी याचिकाएं अदालत में नहीं लानी चाहिए।

अदालत ने कहा, ‘‘इसमें क्या समस्या है। इसमें अहं का क्या मुद्दा है? मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लग रहा। मुझे अफसोस है कि एक डॉक्टर इसके लिए अदालत आ रहे हैं।’’

सुनवाई शुरू होने पर न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘प्रारंभिक नजर में इस आदेश में मुझे कुछ भी गलत नहीं लग रहा है। यह केवल कोविड के प्रबंधन के संबंध में है।’’

याचिका में अधिसूचना को चुनौती देते हुए दलील दी गयी है कि यह एकतरफा है और 27 अप्रैल से लागू संशोधित जीएनसीटीडी कानून के तहत उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना यह जारी की गयी।

याचिकाककर्ता डॉक्टर की तरफ से पेश वकील पायल बहल ने कहा कि अधिसूचना में कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए एलोपैथिक और गैर एलोपैथिक डॉक्टरों के साथ जूनियर और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को भी एक ही श्रेणी में रखा गया है। इससे मरीजों की जान खतरे में पड़ जाएगी।

दिल्ली सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल ने अदालत को बताया कि अधिसूचना लाने के पीछे मंशा यह थी कि महामारी के दौरान हरेक वार्ड में स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहें और अधिकृत डॉक्टर ही दवा या उपचार कर सकें।

अग्रवाल ने कहा कि उन्हें स्पष्टीकरण के लिए समय चाहिए और अदालत ने मामले को 27 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

गुरु तेग बहादुर अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर ने कहा कि अधिसूचना से मरीजों के उपचार पर नकारात्मक असर पड़ेगा और दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में कोविड मरीजों के उपचार के लिए चिकित्सा, अस्पताल का प्रशासनिक तंत्र बेपटरी हो सकता है।

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