"राम मंदिर बनने से कोई समस्या नहीं है, लेकिन मस्जिद गिराकर मंदिर बनाने से सहमत नहीं हूं", सनातन विरोधी उदयनिधि स्टालिन ने कहा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 19, 2024 07:55 AM2024-01-19T07:55:06+5:302024-01-19T07:57:44+5:30

सनातन विरोधी टिप्पणियों के लिए विवादों में रहे डीएमके नेता उदयनीधि स्टालिन ने राम मंदिर पर कहा कि हम अयोध्या में बने राम मंदिर को इस कारण से उचित नहीं मानते हैं क्योंकि उसका निर्माण 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराकर किया गया है।

"There is no problem with building Ram temple, but I do not agree with building a temple by demolishing the mosque", said Udayanidhi Stalin, an opponent of Sanatan Dharma | "राम मंदिर बनने से कोई समस्या नहीं है, लेकिन मस्जिद गिराकर मंदिर बनाने से सहमत नहीं हूं", सनातन विरोधी उदयनिधि स्टालिन ने कहा

फाइल फोटो

Highlightsसनातन विरोधी टिप्पणियों के लिए विवादों में रहे उदयनीधि स्टालिन ने राम मंदिर पर दी प्रतिक्रियाडीएमके धर्म के खिलाफ नहीं है, लेकिन पार्टी अयोध्या में बने राम मंदिर को उचित नहीं मानती हैऐसा इसलिए क्योंकि राम मंदिर का निर्माण 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराकर किया गया है

चेन्नई: तमिलनाडु की सत्ताधारी डीएमके के यूथ विंग के प्रमुख और सूबे के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने बीते गुरुवार को कहा कि डीएमके कभी भी धर्म के खिलाफ नहीं है, लेकिन पार्टी अयोध्या में बने राम मंदिर को इस कारण से उचित नहीं मानती है क्योंकि उसका निर्माण 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराकर किया गया है।

समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार उदयनिधि ने कहा कि यह उनके दादा और तमिलनाडु के पांच बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत एम करुणानिधि का भी यही रुख था।

उन्होंने कहा, "करुणानिधि ने कहा था कि हम किसी भी आस्था के खिलाफ नहीं हैं।  हमें वहां मंदिर बनने से कोई समस्या नहीं है लेकिन, मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाने से हम सहमत नहीं हैं। हमारे कोषाध्यक्ष ने भी कहा है कि धर्म को राजनीति के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।”

उनका बयान द्रमुक के कोषाध्यक्ष और संसदीय दल के नेता टीआर बालू द्वारा भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले 22 जनवरी को अयोध्या में किये जा रहे राम मंदिर के उद्घाटन को गलत बताया गया था।

सांसद बालू ने बीते रविवार को इस मुद्दे पर भाजपा को कटघरे में खड़ा किया और उस पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा, "भारत के लोग एक आध्यात्मिक कार्यक्रम को राजनीतिक में बदलने के भाजपा के ज़बरदस्त प्रयास को खारिज कर देंगे।"

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई राजनेताओं, अभिनेताओं और मशहूर हस्तियों को आमंत्रित किया गया है। वहीं कांग्रेस, सीपीएम, सपा, एनसीपी, राजद और तृणमूल जैसे विपक्षी दलों ने निमंत्रण को यह कहते हुए ठुकरा दिया है कि भाजपा धार्मिक समारोह से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है।

इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात यह है कि विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं ने बीते 13 जनवरी को मंत्री उदयनिधि की मां और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की पत्नी दुर्गा स्टालिन को आमंत्रित किया था, जो मंदिर जाती हैं। जबकि एमके स्टालिन को राम मंदिर समारोह का न्योता नहीं दिया गया था।

तमिलनाडु में विपक्ष के नेता और एआईएडीएके महासचिव पलानीस्वामी के उस बयान पर कि मंदिर समारोह में भाग लेना व्यक्तिगत पसंद है, उदयनिधि ने कटाक्ष करते हुए कहा कि डीएमके तो वह पार्टी है, जिसने राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के दौरान अयोध्या में कार सेवकों को भेजा था।

मालूम हो कि एआईएडीएमके ने पिछले सितंबर में भाजपा के साथ अपने चार साल पुराने गठबंधन तोड़ दिया था। पलानीस्वामी ने मंदिर समारोह  में शामिल होने के संबंध में बीते 11 जनवरी को कहा था, "अगर मौका मिला तो मैं जरूर भाग लूंगा लेकिन मेरे पैर में कुछ दर्द है। कुछ कठिनाई है। इसलिए इस पर निर्णय बाद में लिया जाएगा।”

Web Title: "There is no problem with building Ram temple, but I do not agree with building a temple by demolishing the mosque", said Udayanidhi Stalin, an opponent of Sanatan Dharma

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