सरकारी नौकरी ही नहीं है, कब तक सब्र करे देश का नौजवान: वरूण गांधी

By भाषा | Updated: December 2, 2021 12:50 IST2021-12-02T12:50:40+5:302021-12-02T12:50:40+5:30

There is no government job, till how long should the youth of the country be patient: Varun Gandhi | सरकारी नौकरी ही नहीं है, कब तक सब्र करे देश का नौजवान: वरूण गांधी

सरकारी नौकरी ही नहीं है, कब तक सब्र करे देश का नौजवान: वरूण गांधी

नयी दिल्ली, दो दिसंबर किसानों के मुद्दों पर लगातार अपनी ही पार्टी की सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरुण गांधी ने बृहस्पतिवार को सरकारी नौकरियों की कमी का मुद्दा उठाया और कहा कि देश के नौजवान कब तक सब्र करेंगे।

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘पहले तो सरकारी नौकरी ही नहीं है, फिर भी कुछ मौका आए तो पेपर लीक हो, परीक्षा दे दी तो सालों साल रिजल्ट नहीं, फिर किसी घोटाले में रद्द हो। रेलवे ग्रुप डी के सवा करोड़ नौजवान दो साल से परिणामों के इंतजार में हैं। सेना में भर्ती का भी वही हाल है। आखिर कब तक सब्र करे भारत का नौजवान?’’

बाद में एक बयान में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से भाजपा सांसद गांधी ने कहा कि ग्रामीण भारत में औसत युवाओं के लिए रोजगार के अवसर मुख्यत: सरकारी नौकरियों तक ही सीमित रहते हैं, चाहे वह रक्षा क्षेत्र हो या पुलिस, रेलवे या फिर शिक्षा।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक क्षेत्र में पहले के मुकाबले कम सरकारी नौकरियां हैं, लिहाजा युवाओं में कुंठा के भाव पैदा हो रहे हैं। पिछले दो वर्षों में सिर्फ उत्तर प्रदेश में परीक्षा पेपर लीक होने की वजह से 17 परीक्षाएं स्थगित की जा चुकी हैं और अभी तक इसमें शामिल किसी बड़े सिंडिकेट की पहचान नहीं की जा सकी है। युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ने का भी कोई तंत्र नहीं है। इसलिए रोजगार संबंधी दिशानिर्देशों और निर्धारित समय-सारणी का पालन किया जाना आवश्यक है।’’

वरूण गांधी अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार के प्रबंधन की भी आलोचना करते रहे हैं। हालांकि इस दौरान उन्होंने अभी तक सीधे केंद्र सरकार को निशाना नहीं बनाया है।

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों की आवाज में भी वह आवाज मिलाते रहे हैं। तीन कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा के एक दिन बाद भी उन्होंने आंदोलनरत किसानों के सुर में सुर मिलाते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून बनाने की मांग की थी और आगाह किया था कि राष्ट्रहित में सरकार को ‘‘तत्काल’’ यह मांग मान लेनी चाहिए अन्यथा आंदोलन समाप्त नहीं होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर उन्होंने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की थी और कहा था कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने का यह निर्णय यदि पहले ही ले लिया जाता तो 700 से अधिक किसानों की जान नहीं जाती।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: There is no government job, till how long should the youth of the country be patient: Varun Gandhi

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे