शीर्ष न्यायालय ने प्राथमिकी दर्ज करने संबंधी छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त किया

By भाषा | Published: October 10, 2021 04:27 PM2021-10-10T16:27:01+5:302021-10-10T16:27:01+5:30

The top court set aside the order of the Chhattisgarh High Court to register the FIR. | शीर्ष न्यायालय ने प्राथमिकी दर्ज करने संबंधी छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त किया

शीर्ष न्यायालय ने प्राथमिकी दर्ज करने संबंधी छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त किया

नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसके जरिए सीबीआई को राज्य संसाधन केंद्र (एसआरसी) और फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर (पीआरआरसी) में करीब 10 साल की अवधि में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की कथित अनियमिता के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था।

उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले साल जनवरी में आदेश जारी किया था। राज्य सररकार के एसआरसी और पीआरआरसी में कोष की कथित अनियमितता के सिलसिले में याचिका के जरिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों सहित अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

शीर्ष न्यायालय ने इस बात का जिक्र किया कि उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों सहित 31 प्रतिवादियों का पक्षकार के तौर पर जिक्र किया था, लेकिन इस बारे में संकेत देने के लिए कुछ भी रिकार्ड में नहीं है कि आदेश जारी करने से पहले उन सभी को नोटिस तामिल किया गया था।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सात अक्टूबर को जारी अपने आदेश में कहा, ‘‘इस तरीके से किसी जनहित याचिका को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। ’’

पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार भी शामिल हैं। पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका पर आदेश जारी किया।

पीठ को बताया गया कि उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर सीबीआई ने पिछले साल फरवरी में इस विषय में एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता के पक्ष में मुद्दे का उच्च न्यायालय द्वारा जवाब दिये जाने पर ही जांच आगे बढ़ाई जाए।

पीठ ने अपील का निस्तारण करते हुए कहा, ‘‘जब तक कि अंतिम आदेश जारी नहीं कर दिया जाता, प्राथमिकी के सिलसिले में सीबीआई द्वारा शीघ्रता से कोई कदम नहीं उठाया जाए।’’

पीठ ने कहा कि पक्षकार 28 अक्टूबर को उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित होंगे। साथ ही पीठ ने उच्च न्यायालय से विषय का शीघ्रता से निस्तारण करने का अनुरोध किया।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ता के मुताबिक पीआरआरसी की स्थापना दिव्यांगों के कल्याण के लिए काम करने के लिए किया गया था और इसे उनके लिए कृत्रिम अंग बनाना है।

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Web Title: The top court set aside the order of the Chhattisgarh High Court to register the FIR.

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