कराधान विधि संशोधन विधेयक-2019 लोकसभा से हुआ पारित, जानिए क्या है खास?
By रामदीप मिश्रा | Updated: December 2, 2019 19:49 IST2019-12-02T19:49:15+5:302019-12-02T19:49:15+5:30
सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में आने वाली घरेलू नयी कंपनियों के लिए कार्पोरेट आयकर की दर घटा कर 15 प्रतिशत करने का फैसला किया था।

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कराधान विधि संशोधन विधेयक 2019 को लोकसभा में सोमवार को से पारित हो गया। इस दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कॉरपोरेट कर में कटौती के बाद बहुत सी घरेलू और वैश्विक कंपनियों ने निवेश में रुचि दिखाई है। उद्योगपति राहुल बजाज की टिप्पणी पर वित्त मंत्री ने कहा कि यह कहना अनुचित होगा कि सरकार अपनी आलोचना नहीं सुनना चाहती है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने हाल में आयोजित कर्ज वितरण अभियान के तहत 2.52 लाख करोड़ रुपये का कर्ज वितरित किया। वहीं, द्रमुक के एक राजा ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी आर्थिक सुस्ती की बात स्वीकार नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि बीजेपी के सदस्य अमेरिकी और अन्य विदेशी अर्थशास्त्रियों का हवाला दे रहे हैं, लेकिन रघुराम राजन और अरविंद पनगढ़िया जैसे भारतीय अर्थशास्त्रियों की बात नहीं कर रहे।
राजा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चाहे किसी दल के हों लेकिन बड़े अर्थशास्त्री हैं और सरकार उनकी बात भी नहीं मान रही कि अर्थव्यवस्था शिथिलता के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसले अर्थव्यवस्था की बुरी हालत के लिए जिम्मेदार हैं।
The Taxation Laws (Amendment) Bill, 2019 has been passed by Lok Sabha. pic.twitter.com/ltApVVpDlQ
— ANI (@ANI) December 2, 2019
तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने कहा कि सरकार एक तरफ कॉर्पोरेट कर कम करती है दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था में मंदी की बात नहीं मानती है। उन्होंने भी नोटबंदी और जीएसटी के क्रियान्वयन संबंधी फैसलों को आज की हालत के लिए जिम्मेदार ठहराया। मोइत्रा ने सरकार से समग्र समाधान निकालने की मांग की। कांग्रेस के एम श्रीनिवासुलू रेड्डी ने विधेयक का समर्थन करते हुए इसे अच्छा कदम बताया।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में आने वाली घरेलू नयी कंपनियों के लिए कार्पोरेट आयकर की दर घटा कर 15 प्रतिशत करने का फैसला किया था। यह विधेयक आयकर अधिनियम और वित्त अधिनियम 2019 के कुछ उपबंधों में संशोधन के लिए 20 सितंबर को जारी अध्यादेश का स्थान लेगा।
विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई कंपनी मीडिया में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के विकास से जड़ी हो, खनन, संगमरमर या इस जैसे किसी पदार्थ से स्लैब बनाने, गैस सिलिंडरों की बॉटलिंग, पुस्तकों के प्रकाशन या सिनेमा निर्माण से जुड़ी है तो उसे इसका लाभ नहीं मिलेगा। इस विधेयक के माध्यम से आयकर अधिनियम 1961 का और संशोधन करने तथा वित्त संख्यांक 2 अधिनियम 2019 का और संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है।
इसमें एक नई उपधारा अंत: स्थापित करने की बात कही गई है जिसके तहत यदि इन शार्तो को पूरा करने में कोई कठिनाई पेश आती है तब बोर्ड कठिनाई को दूर करने के प्रयोजन के लिये तथा नये संयंत्र एवं मशीनरी का उपयोग करते हुए, किसी वस्तु या चीज के विनिर्माण या उपत्पादन का संबंर्द्धन करने के लिये मार्गदर्शक सिद्धांत जारी कर सकेगा।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि यह महसूस किया गया कि अतिरिक्त राजकोषीय वित्तीय उपाए करना अत्यंत आवश्यक हो गया जिससे अर्थव्यवसथा के विकास में तेजी लाई जा सके। इसके लिये सरकार ने पहले ही कुछ उपायों की घोषणा की थी। इन उपायों में कुछ उपाए अयकर अधिनियम 1961 और वित्त अधिनियम 2019 में संशोधनों से संबंधित है।
यह भी देखने को आया है कि सम्पूर्ण विश्व में बहुत से देशों ने विनिधान को आकर्षित करने के लिये और रोजगार के अवसर सृजित करने के लिये कारपोरेट आय कर काम कम कर दिया था, इस प्रकार भारतीय उद्योग को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये घरेलू कंपनियों द्वारा संदेय अयकर की कमी के रूप में इसी प्रकार के उपायों की आवश्यकता अनिवार्य हो गई थी।
अत: महसूस किया गया कि घरेलू कंपनियों की कारपोरेट आय कर दर की कमी के माध्यम से राजकोषीय वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाए जिससे रोजगार के अवसर सृजित किये जा सके और देश की अर्थव्यवस्था में तेजी लाई जा सके। इसमें कहा गया है कि इसको ध्यान में रखते हए आयकर अधिनियम और वित्त अधिनियम 2019 के कुछ उपबंधों का संशोधन करना आवश्यक हो गया। चूंकि संसद सत्र में नहीं थी, इसलिये 20 सितंबर को इस संबंध में अध्यादेश लाया गया था।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के आधार पर)