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सुप्रीम कोर्ट ने कहा-वरिष्ठ अधिवक्ता ‘‘कानून से ऊपर नहीं’’ हैं, आचरण दिखाता है कि उनमें से कुछ में ‘‘कोई नैतिकता नहीं’’ बची

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 6, 2019 14:48 IST

इस चलन को ‘‘बड़े स्तर का न्यायिक कदाचार’’ करार देते हुए न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता ‘‘कानून से ऊपर नहीं’’ हैं और इस तरह का आचरण दिखाता है कि उनमें से कुछ में ‘‘कोई नैतिकता नहीं’’ बची है।

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ठळक मुद्देउच्चतम न्यायालय ने राहत के लिए ‘जरूरी तथ्य दबाने पर’ वरिष्ठ अधिवक्ताओं को आड़े हाथ लिया।पीठ ने कहा कि इस मामले में जो हुआ, उसे उस पर ‘‘गंभीर आपत्ति’’ है क्योंकि ‘‘बड़े स्तर का अनुचित न्यायिक बर्ताव किया गया है।’’

उच्चतम न्यायालय ने अवकाशकालीन पीठों से तथ्य छिपाकर राहत पाने वाले कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं के ‘‘अनुचित न्यायिक बर्ताव’’ पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

इस चलन को ‘‘बड़े स्तर का न्यायिक कदाचार’’ करार देते हुए न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता ‘‘कानून से ऊपर नहीं’’ हैं और इस तरह का आचरण दिखाता है कि उनमें से कुछ में ‘‘कोई नैतिकता नहीं’’ बची है।

न्यायाधीशों ने अवकाशकालीन पीठ द्वारा वह आदेश पारित करने पर भी आपत्ति जताई जिसमें केरल की कुछ इमारतों को ढहाने पर छह सप्ताह की रोक लगाई गई थी। इससे पहले सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने आठ मई को निर्देश दिया था कि इन इमारतों को एक महीने के भीतर हटाया जाए क्योंकि वे केरल के अधिसूचित तटीय नियमन क्षेत्रों (सीआरजेड) में बनाई गई थीं।

शुक्रवार को जब मामला सुनवाई के लिए रखा गया तो पीठ ने कहा कि इस मामले में जो हुआ, उसे उस पर ‘‘गंभीर आपत्ति’’ है क्योंकि ‘‘बड़े स्तर का अनुचित न्यायिक बर्ताव किया गया है।’’ पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी से कहा, ‘‘अवकाश के दौरान, मेरे सामने मामले का उल्लेख किया गया लेकिन मैंने सुनने से मना कर दिया।

इसके बाद इसे दूसरी अवकाशकालीन पीठ के सामने रखा गया। उस पीठ को आदेश पारित नहीं करना चाहिए था। आपने (वकीलों) अदालत को न्यायिक अशिष्टता करने दी।’’ बनर्जी इस मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए थे।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘क्या हमें इस अदालत के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करनी चाहिए? यह न्यायिक कदाचार की पराकाष्ठा है। अवकाश के दौरान, मैंने सुनने से इंकार किया तो आप लोगों ने तथ्य छिपाकर दूसरी पीठ से आदेश प्राप्त कर लिया।’’ हालांकि, बनर्जी ने अदालत को बताया कि वह अवकाशकालीन पीठ के सामने इस मामले में पेश नहीं हुए थे। 

टॅग्स :सुप्रीम कोर्टजस्टिस रंजन गोगोईकोर्ट
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