विधायी अधिनियम से भी अदालत की अवमानना की शक्ति को छीना नहीं जा सकता : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: September 29, 2021 12:25 IST2021-09-29T12:25:47+5:302021-09-29T12:25:47+5:30

The power of contempt of court cannot be taken away even by a legislative act: Supreme Court | विधायी अधिनियम से भी अदालत की अवमानना की शक्ति को छीना नहीं जा सकता : उच्चतम न्यायालय

विधायी अधिनियम से भी अदालत की अवमानना की शक्ति को छीना नहीं जा सकता : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 29 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि अदालत की अवमानना की शक्ति को विधायी अधिनियम द्वारा भी छीना नहीं जा सकता और इसी के साथ उसने अदालत को ‘‘नाराज करने तथा धमकाने’’ के लिए 25 लाख रुपये जमा ना कराने पर एक गैर लाभकारी संगठन (एनजीओ) के अध्यक्ष को अवमानना का दोषी ठहराया।

शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘‘हमारा यह मानना है कि अवमानना करने वाला शख्स स्पष्ट तौर पर अदालत की आवमानना का दोषी है और अदालत को नाराज करने के उसके कदम को स्वीकार नहीं किया जा सकता।’’

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि एनजीओ सुराज इंडिया ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव दहिया अदालत, प्रशासनिक कर्मियों और राज्य सरकार समेत सभी पर ‘‘कीचड़ उछालते’’ रहे हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘अवमानना के लिए दंड देने की शक्ति एक संवैधानिक अधिकार है जिसे विधायी अधिनियम से भी छीना नहीं जा सकता।’’ उसने दहिया को नोटिस जारी किया और उसे सात अक्टूबर को सजा सुनाने पर अदालत में मौजूद रहने का निर्देश दिया। धन का भुगतान करने के संबंध में पीठ ने कहा कि यह भू-राजस्व के बकाया के रूप में लिया जा सकता है।

उच्चतम न्यायालय ने दहिया को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि अदालत को नाराज करने की कोशिश के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। दहिया ने न्यायालय को बताया था कि उनके पास जुर्माना भरने के लिए संसाधन नहीं है और वह दया याचिका लेकर राष्ट्रपति के पास जाएंगे।

उच्चतम न्यायालय दहिया की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें उन्होंने न्यायालय के 2017 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है। न्यायालय ने 2017 में दिए आदेश में उन्हें बिना किसी सफलता के इतने वर्षों में 64 जनहित याचिकाएं दायर करने और शीर्ष न्यायालय के न्यायाधिकार क्षेत्र का ‘‘बार-बार दुरुपयोग’’ करने के लिए 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: The power of contempt of court cannot be taken away even by a legislative act: Supreme Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे