लाइव न्यूज़ :

बड़ी राजनीतिक ताकत बनने की चाह में रास्ते बदलने वाला मुसाफिर, जानें उपेन्द्र कुशवाहा के बारे में दिलचस्प बातें

By भाषा | Updated: December 23, 2018 15:35 IST

बिहार की राजनीति में वर्ष 2003 में उपेन्द्र कुशवाहा उस समय एक बड़ा नाम बनकर उभरे जब नीतीश कुमार ने उन्हें बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया और इस तरह मुख्यमंत्री के बाद सबसे ताक़तवर कुर्सी कुशवाहा के पास आ गई।

Open in App

लोकसभा का पंचवर्षीय चुनावी उत्सव अब ज्यादा दूर नहीं है और देशभर में राजनीतिक समीकरण बहुत तेजी से बदल रहे हैं। दुश्मनी और दोस्ती की नयी परिभाषाएं गढ़ी जा रही हैं और आस्था और विश्वास के नये केन्द्र उभर रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार में राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा का एनडीए से हटना एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनने का रास्ता तलाश करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

बिहार की राजनीति में वर्ष 2003 में उपेन्द्र कुशवाहा उस समय एक बड़ा नाम बनकर उभरे जब नीतीश कुमार ने उन्हें बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया और इस तरह मुख्यमंत्री के बाद सबसे ताक़तवर कुर्सी कुशवाहा के पास आ गई। कुशवाहा ने भी नीतीश के प्रति अपनी आस्था को पूरी श्रद्धा से साबित किया और पूरे राज्य में उनके पक्ष में हवा बनाई।

नीतीश के साथ अपने संबंधों का जिक्र करते हुए कुशवाहा उन अच्छे दिनों को याद करते हैं तो उन बुरे दिनों को भी भूले नहीं हैं, जब 2005 में नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा का बंगला खाली कराने के लिए उनकी ग़ैरमौजूदगी में उनके घर का सामान तक बाहर फिंकवा दिया। 

यह राजनीति के खेल में कुशवाहा के लिए पहला सबक था। उन्होंने उसी समय समता पार्टी का मोह छोड़ दिया और राष्ट्रीय समता पार्टी बना ली। यहां से उन्होंने अपनी खोई राजनीतिक जमीन फिर से हासिल करने की जद्दोजहद शुरू की। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बिहार की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए अपनी चुनावी ताकत का स्पष्ट संकेत दिया।

बिहार की जातीय राजनीति की जमीन पर कुशवाहा की जड़ें जमने लगीं तो उसकी आहट नीतीश कुमार तक भी जा पहुंची और उन्होंने कुशवाहा की एक सार्वजनिक सभा में पहुंचकर उन्हें गले लगाकर सब शिकायतें दूर करने का भरोसा दिया और उन्हें राज्य सभा में भेज दिया। 

राज्यसभा के गलियारे भी कुशवाहा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को समेट नहीं पाए और 2013 में कुशवाहा राज्यसभा से इस्तीफा देकर एक बार फिर शून्य पर आ खड़े हुए। अपने जीवन में कई बड़े दांव लगाने वाले कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के नाम से नयी पार्टी बनाकर फिर पासा फेंका और 2014 में एनडीए में शामिल होने के बाद लोकसभा चुनाव में तीन सीटें जीतकर केन्द्र में मंत्री बन गए।

2 फरवरी 1960 को बिहार के वैशाली में एक मध्यम वर्गीय हिंदू क्षत्रीय परिवार में जन्मे उपेन्द्र कुशवाहा ने पटना के साइंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर मुजफ्फरपुर के बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एम.ए किया। इसके बाद कुशवाहा ने कुछ समय तक समता कॉलेज के राजनीति विभाग में लेक्चरर के तौर पर भी काम किया। 1985 में वह राजनीति में आए और 1988 तक युवा लोकदल के राज्य महासचिव रहे। 1994 में उन्हें समता पार्टी का महासचिव बनाया गया और उन्हें राज्य की राजनीति में महत्व मिलने लगा। इस दौरान समता पार्टी के प्रमुख नीतीश कुमार के साथ उनकी नजदीकी खास तौर से चर्चा में रही।

टॅग्स :बिहार समाचार
Open in App

संबंधित खबरें

क्राइम अलर्टBihar: JDU नेता के भाई, भाभी समेत भतीजी की मौत, आवास में मिला शव, पूर्णिया में मची सनसनी

क्राइम अलर्टPatna: देवर की चाह में भाभी बनी कातिल, देवरानी के मायके जाते ही देवर को उतारा मौत के घाट

क्राइम अलर्टBihar: आरा रेलवे स्टेशन पर ट्रिपल मर्डर, युवक ने पिता-पुत्री को मारी गोली; फिर खुद को किया शूट

बिहारBihar Assembly Session: विधानसभा में विपक्षी नेताओं का हंगामा, अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद शांत हुए विधायक

क्राइम अलर्टबिहार में 'खाकी' ही नहीं सुरक्षित, अपराधियों का निशाना बन रही पुलिस; 3 दिन में दूसरा हमला

भारत अधिक खबरें

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत

भारतउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोगः 15 विषय और 7466 पद, दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में सहायक अध्यापक परीक्षा, देखिए डेटशीट

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत