संसदीय समिति ने ग्लेशियरों, बर्फीले तूफानों की निगरानी एवं चेतावनी प्रणाली की जरूरत बतायी

By भाषा | Published: March 14, 2021 04:05 PM2021-03-14T16:05:20+5:302021-03-14T16:05:20+5:30

The parliamentary committee suggested the need for monitoring and warning system of glaciers, icy storms | संसदीय समिति ने ग्लेशियरों, बर्फीले तूफानों की निगरानी एवं चेतावनी प्रणाली की जरूरत बतायी

संसदीय समिति ने ग्लेशियरों, बर्फीले तूफानों की निगरानी एवं चेतावनी प्रणाली की जरूरत बतायी

नयी दिल्ली, 14 मार्च उत्तराखंड में हाल ही में हिमखंड टूटने के कारण अचानक आई विकराल बाढ़ से हुई त्रासदी की गंभीरता को देखते हुए संसद की एक समिति ने हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियरों और बर्फीले तूफानों की वास्तविक आधार पर गहन निगरानी करने एवं चेतावनी प्रणाली स्थापित करने की जरूरत रेखांकित की है ।

संसद में मार्च 2021 में पेश जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऋृषि गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में ग्लेशियर पर बर्फीले तूफान आने एवं भूस्खलन के कारण नदी की धारा में भारी बाढ़ आने से हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर की गहन निगरानी की जरूरत महसूस हुई है ।

समिति ने कहा कि उसे यह जानकर आश्चर्य हुआ है कि त्रासदी का पूर्वानुमान लगाने के लिये कोई प्रणाली नहीं थी और विभाग का निगरानी केंद्र जोशीमठ में था ।

जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग के प्रतिनिधि ने समिति को बताया कि वे उन क्षेत्रों में और निगरानी तंत्र स्थापित करने की योजना बना रहे हैं ।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ समिति विभाग से आग्रह करती है कि इस दिशा में सक्रिय रूप से कदम उठाये और पारिस्थितिकी की दृष्टि से संवेदनशील इन क्षेत्रों में तकनीकी एवं वित्तीय दोनों संसाधन तैनात करे। ऐसा इसलिये जरूरी है क्योंकि इन क्षेत्रों में कई बड़े बांध और जल विद्युत परियोजनाएं हैं और 7 फरवरी जैसी त्रासदी पुन: होती है तब इससे भारी तबाही होगी एवं इस क्षेत्र की भू जलवायु परिस्थिति पर गहरा प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा । ’’

हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर की निगरानी की जरूरत को रेखांकित करते हुए समिति ने कहा कि वह चाहती है कि ग्लेशियरों एवं बर्फीले तूफानों की निगरानी एवं चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिये उठाये जा रहे कदमों के बारे में उसे बताया जाए ।

ग्लेशियर झीलों की निगरानी की योजना में बारे में समिति को विभाग ने बताया ‘‘‘ भारत में 50 हेक्टेयर से अधिक आकार की 477 हिमनद झीलें हैं । अब तक हम इन 477 झीलों की निगरानी कर रहे हैं । यदि उनके आकार में कोई असामान्य वृद्धि हुई है तब उसके बारे में चेतावनी दे रहे हैं । ’’

विभाग ने कहा, ‘‘ भारत में लगभग 2038 झीलें 10 हेक्टेयर की हैं । अब हम उन सभी 2038 झीलों की निगरानी करने की योजना बना रहे हैं । भविष्य में हम उन झीलों पर भी नजर रखेंगे । ’’

उत्तराखंड में हिमखंड टूटने के कारण 7 फरवरी को अचानक आई विकराल बाढ़ की त्रासदी की घटना के बारे में केंद्रीय जल आयोग ने 23 फरवरी 2021 को समिति को बताया कि उत्तराखंड में सात फरवरी को ग्लेशियर पर हिमस्खलन हुआ था । उस ग्लेशियर की ऊंचाई लगभग 5500 मीटर थी । यह हिमखंड 2500 मीटर नीचे की ओर खिसक गया था ।

आयोग ने बताया कि इसके कारण 7 फरवरी को एक घटना घटी जिसमें जान-माल का गहरा नुकसान हुआ।

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Web Title: The parliamentary committee suggested the need for monitoring and warning system of glaciers, icy storms

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