पूर्व में खारिज किए गए कानून जैसा ही है न्यायाधिकरणों से संबंधित नया कानून : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: September 6, 2021 21:54 IST2021-09-06T21:54:08+5:302021-09-06T21:54:08+5:30

The new law related to tribunals is similar to the law that was rejected earlier: Supreme Court | पूर्व में खारिज किए गए कानून जैसा ही है न्यायाधिकरणों से संबंधित नया कानून : उच्चतम न्यायालय

पूर्व में खारिज किए गए कानून जैसा ही है न्यायाधिकरणों से संबंधित नया कानून : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, छह सितंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि न्यायाधिकरणों से संबंधित नया केंद्रीय कानून पूर्व में उसके द्वारा निरस्त किए गए कानून जैसा ही है। इसने कहा कि यद्यपि सरकार के पास नए कानून बनाकर किसी निर्णय का आधार छीनने की शक्ति है, लेकिन वे सीधे तौर पर इसके फैसलों के विरोधाभासी नहीं हो सकते।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के निर्णय के आधार को विधायिका छीन सकती है। लेकिन आप ऐसा कानून नहीं बना सकते, जो सीधे तौर पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय का विरोधाभासी हो।’’

कानून विभिन्न न्यायाधिकरणों के सदस्यों की सेवा शर्तों और कार्यकाल से संबंधित है और इसमें उन कुछ प्रावधानों को पुन: रखा गया है, जिन्हें हाल में मद्रास बार एसोसिएशन और अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति राव के नेतृत्व वाली पीठ ने निरस्त कर दिया था।

संसद में बिना चर्चा के कानून पारित किए जाने और निरस्त किए गए प्रावधानों को फिर से रखे जाने की आलोचना करने वाली पीठ ने कहा कि कानून असल में उन प्रावधानों की प्रतिकृति है, जिन्हें निरस्त कर दिया गया था।

पीठ ने विभिन्न याचिकाओं पर केंद्र से 13 सितंबर तक जवाब मांगा, जिनमें हालिया मानसून सत्र में पारित और 13 अगस्त को राष्ट्रपति से मंजूरी पाने वाले न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम 2021 के प्रावधनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। याचिकाओं में कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिका भी शामिल है।

इसने कहा कि वह अगले सोमवार को नए कानून पर कुछ आदेश पारित करेगी।

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Web Title: The new law related to tribunals is similar to the law that was rejected earlier: Supreme Court

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