‘युद्ध की प्रकृति बदल रही, जल-थल-नभ हर जगह विपरीत परिस्थितियों से ठीक से निपटने की आवश्यकता’

By भाषा | Published: May 29, 2021 06:13 PM2021-05-29T18:13:28+5:302021-05-29T18:13:28+5:30

'The nature of war is changing, the need to deal properly with adversity everywhere on land and sea' | ‘युद्ध की प्रकृति बदल रही, जल-थल-नभ हर जगह विपरीत परिस्थितियों से ठीक से निपटने की आवश्यकता’

‘युद्ध की प्रकृति बदल रही, जल-थल-नभ हर जगह विपरीत परिस्थितियों से ठीक से निपटने की आवश्यकता’

पुणे, 29 मई नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने शनिवार को तीनों रक्षा बलों की ‘‘एकजुटता’’ का आह्वान करते हुए कहा कि युद्ध की प्रकृति बदल रही है तथा ऐसे में जल, थल, नभ और साइबर जगत जैसे सभी क्षेत्रों में विपरीत परिस्थितियों से ठीक से निपटने की आवश्यकता बढ़ जाती है।

एडमिरल सिंह ने यहां खडकवासला में शनिवार सुबह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में अकादमी के 140वें पाठ्यक्रम की पासिंग आउट परेड को संबोधित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘युद्ध की प्रकृति बदल रही है और थल, जल, वायु, अंतरिक्ष तथा साइबर जगत जैसे सभी क्षेत्रों में तमाम विपरीत परिस्थितियों से ठीक से निपटने की आवश्यकता बढ़ जाती है। यही कारण है कि तीनों सेवाओं का साथ आना पहले की तुलना में अब कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।’’

नौसेना प्रमुख ने कहा कि सैन्य मामलों के विभाग, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) पद की शुरुआत के साथ महत्वपूर्ण रक्षा सुधार हुए हैं और जल्द ही थिएटर कमान (सेना के तीनों अंगों की भागीदारी वाली कमान) का गठन होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘तीनों सेवाओं की विशिष्ट भूमिका के लिहाज से प्रत्येक सेवा की परंपराएं, पहचान, वर्दी और तौर-तरीकों की उपयोगिता है। लेकिन आज के जटिल युद्धक्षेत्र में तालमेल और प्रभावी कदम के लिए सैन्य बलों का साथ आना सर्वोपरि है।’’

नौसेना प्रमुख ने कहा कि एनडीए 72 साल से एकजुटता का प्रतीक रहा है। इसका अस्तित्व एकजुटता के मौलिक मूल्यों पर आधारित है, जो अकादमी के आधारभूत सिद्धांत हैं।

सिंह ने कहा, ‘‘आप सभी को यह याद रखना चाहिए कि भविष्य का युद्ध चाहे कितना भी विकसित क्यों न हो, प्रभावी नेतृत्व के लिए कुछ व्यक्तिगत क्षमताएं और गुण महत्वपूर्ण रहते हैं।’’

एनडीए के 56वें पाठ्यक्रम के पूर्व छात्र एडमिरल सिंह शुक्रवार को अपने पूर्व संस्थान पहुंचे। इसके बाद वह अपनी मूल स्क्वाड्रन ‘एच’ (हंटर स्क्वाड्रन) पहुंचे और कैडेट के साथ संवाद किया।

आधिकारिक बयान के अनुसार उन्होंने कैडेट को स्क्वाड्रन के लिए एक स्मृति चिह्न भेंट किया।

इसमें कहा गया कि इस दौरान नौसेना प्रमुख अपने हाथों पर झुके और कैडेट के साथ दंड अभ्यास किया जो कि स्क्वाड्रन की परंपरा है।

बयान में कहा गया कि एडमिरल का समूचा स्टाफ, एनडीए कमांडेंट और अन्य अधिकारी भी उनके साथ मौजूद थे।

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Web Title: 'The nature of war is changing, the need to deal properly with adversity everywhere on land and sea'

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