राजस्थान में गुर्जरों का आंदोलन चौथे दिन भी जारी
By भाषा | Updated: November 4, 2020 22:13 IST2020-11-04T22:13:51+5:302020-11-04T22:13:51+5:30

राजस्थान में गुर्जरों का आंदोलन चौथे दिन भी जारी
जयपुर, चार नवम्बर गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के आह्वान पर गुर्जरों का आंदोलन बुधवार को चौथे दिन भी जारी रहा।
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की मांगों को लेकर बुधवार को सरकार के साथ हुई बातचीत में कोई ठोस सार्थक परिणाम सामने नहीं आने के बीच आंदोलन जारी है।
गुर्जर आंदोलन के कारण पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल पर हिंडौन सिटी-बयाना रेल खंड पर यातायात अवरूद्ध होने से 10 यात्री रेलों को परिवर्तित मार्ग से संचालित किया गया।
आरक्षण सहित अन्य मांगों को लेकर गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोडी सिंह बैंसला के नेतृत्व में आंदोलनकारियों के दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर पटरी पर बैठे होने के कारण रेलवे ने कई रेलों के मार्ग में बदलाव किया वहीं रोडवेज ने कुछ बसों का संचालन बंद कर दिया।
गुर्जर अपनी छह मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इनकी मांगों में समझौते और चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार बैकलॉग रिक्तियों को अधिसूचित करना, सभी प्रक्रियाधीन भर्तियों में पांच प्रतिशत आरक्षण व आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करवाना शामिल है।
पीलूपुरा में कर्नल बैंसला ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि वह खुद चाहते हैं कि इसका समाधान जल्दी निकले क्योंकि वे कोई समाधान नहीं निकलने की स्थिति में आंदोलनकारियों द्वारा सड़क व रेलमार्ग बंद किए जाने को लेकर चिंतित हैं।
उन्होंने कहा, '' हम राज्य सरकार के साथ बातचीत के लिये तैयार हैं लेकिन शर्त है कि हमारी मांग पूरी हो.. हम कब मना कर रहे हैं बात करने के लिये। अगर हमारी मांगें पूरी हो जाती हैं तो.. हमें कोई बैठने का शोक थोड़े है.. हम नहीं बैठेंगे।''
वहीं राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी नीरज के. पवन ने पीलूपुरा में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सरकार मुद्दे पर समाधान ढूंढने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में भर्ती परीक्षा निर्धारित है और सरकार चाहती है कि अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) से अधिकतम नौजवानों को मौका मिले।
पवन ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द की मुद्दे का समाधान निकल जायेगा।
इस बीच, गुर्जरों के एक धड़े के नेता हिम्मत सिंह ने आरोप लगाया कि लोगों ने कर्नल बैंसला और उनके बेटे का समर्थन बंद कर दिया क्योंकि उन्होंने आरक्षण के नाम पर लोगों से पैसे जुटाना शुरू कर दिया था।
उन्होंने कहा कि यदि कर्नल बैंसला व उनके बेटे में हिम्मत है तो यह चुनौती है कि कर्नल बैंसला फाउंडेशन के खाते को सार्वजनिक करें। इस बारे में कर्नल बैंसला या उनके बेटे से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।