जहाजों को दिशा दिखाने वाले ‘लाइट हाउस’ अब बताएंगे इलाके का इतिहास

By भाषा | Published: March 28, 2021 03:45 PM2021-03-28T15:45:14+5:302021-03-28T15:45:14+5:30

The 'Light House', which shows the direction of the ships, will now tell the history of the area | जहाजों को दिशा दिखाने वाले ‘लाइट हाउस’ अब बताएंगे इलाके का इतिहास

जहाजों को दिशा दिखाने वाले ‘लाइट हाउस’ अब बताएंगे इलाके का इतिहास

(दीपक रंजन)

नयी दिल्ली, 28 मार्च पोत, पत्तन मंत्रालय प्रकाश स्तंभों को पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील करने पर काम कर रहा है और कभी जहाजों को दिशा दिखाने वाले ये संकेत स्थल अब संबंधित इलाके का इतिहास बताएंगे।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने भाषा से कहा, ‘‘ हमारे नौवहन प्रकाश स्तंभ (लाइट हाउस) देश की विरासत हैं। हर लाइट हाउस का अपना एक इतिहास है। ऐसे में पर्यटन स्थल के रूप में इनका विकास करने का प्रस्ताव किया गया है।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इस बारे में उल्लेख किया।

पोत, पत्तन मंत्री मनसुख मांडविया ने मंत्रालय को इस प्रस्ताव पर विचार करने को कहा था कि क्या ‘लाइट हाउस’ को धरोहर स्थल और पर्यटन के उद्देश्य से विकसित किया जा सकता है।

अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्ताव को कार्यरूप देते हुए देश के प्रमुख ‘लाइट हाउसों’ का सर्वेक्षण कराया गया और इस बात पर ध्यान दिया गया कि इनमें से कहां पर्याप्त जमीन उपलब्ध है।

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ‘‘ पूरे देश में 195 लाइट हाउस का सर्वेक्षण कराया गया और इनमें से 71 को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए चिह्नित किया गया है।’’

मोदी ने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि लाइट हाउस पर्यटन के लिहाज से विशिष्ट होते हैं और अपनी भव्य संरचनाओं के कारण ये हमेशा से लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत में भी 71 लाइट हाउस चिह्नित किए गए हैं जिन्हें उनकी क्षमताओं के मुताबिक संग्रहालय और थिएटर सहित विभिन्न सुविधाओं से लैस किया जाएगा।

अधिकारी ने बताया कि पोत, पत्तन मंत्री ने इस उद्देश्य के लिए ‘रुचि पत्र’ (ईओआई) तैयार करने को कहा है।

दरअसल, लोकसभा ने हाल ही में ‘नौचालन के लिए सामुद्रिक सहायता विधेयक 2021’ को मंजूरी दी है। इसके माध्यम से प्रकाश स्तंभ अधिनियम 1927 से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित किया जा रहा है।

इस विधेयक के कानून का स्वरूप लेने के बाद प्रकाश स्तंभों के स्थान पर कानूनी रूप से नौचालन के संबंध में समुद्री सहायता के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का और बेहतर ढंग से उपयोग किया जा सकेगा।

पोत, पत्तन मंत्रालय का मानना है कि आधुनिक प्रौद्योगिकी आने से इन ‘लाइट हाउस’ के प्रयोग में नहीं आने के कारण इनका पर्यटन के दृष्टिकोण से विकास किया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि ये प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण बेहतर स्थानों पर स्थित हैं। इनके अगल-बगल हरियाली और समुद्र तट हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘‘इन स्थानों के नौवहन इतिहास की भी जानकारी दी जाएगी।’’

मसलन, महाराष्ट्र में कान्होजी द्वीप पर 125 साल पुराना लाइट हाउस है। यहां पर किला भी है और शिवाजी महाराज के समय की तोप भी लगी हुई है। देश के कुछ प्रमुख लाइट हाउसों में तमिलनाडु स्थित ‘मनपैड’ शामिल है जो तुतीकोरिन से 60 किलोमीटर दूर है।

इसी प्रकार से, केरल स्थित कोवलम का ‘लाइट हाउस’ भी है जो तिरुवनंतपुरम से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह सबसे प्राचीन ‘लाइट हाउसों’ मे से एक है।

पुडुचेरी में भी ऐतिहासिक ‘लाइट हाउस’ है जो काफी पुराना है।

कर्नाटक के उडुपी शहर से 12 किलोमीटर दूर मुलूर नामक एक छोटे से गांव में भी एक ‘लाइट हाउस’ स्थित है। गुजरात के शहर द्वारका के ‘रुपेन क्रीक’ में लाइट हाउस का निर्माण 19 वीं शताब्दी में हुआ था।

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Web Title: The 'Light House', which shows the direction of the ships, will now tell the history of the area

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