न्यायिक व्यवस्था को आवश्यक सेवाओं की सूची में शामिल करे न्यायपालिका: कपिल सिब्बल

By शीलेष शर्मा | Updated: April 26, 2020 07:22 IST2020-04-26T07:22:31+5:302020-04-26T07:22:31+5:30

केंद्र सरकार पर भी सिब्बल जम कर बरसे, उन्होंने सरकार से पूछा कि कोरोना से जंग के लिये राष्ट्रीय नीति क्यों नहीं तैयार की गयी, आपदा प्रबंधन क़ानून मौजूद है, फिर उसका संज्ञान क्यों नहीं लिया जा रहा है। राज्यों की अनदेखी हो रही है, उनके पास कोरोना से लड़ने के लिये न तो पर्याप्त संसाधन हैं न पैसा केवल इस कारण कि ‘‘नॉर्थ ब्लॉक में बैठे नौकरशाह नीतियां बना रहे हैं, जबकि उन्हें राज्यों और आम लोगों की स्थिति के बारे में जानकारी नहीं है।'' 

The judiciary should include the judicial system in the list of essential services: Kapil Sibal | न्यायिक व्यवस्था को आवश्यक सेवाओं की सूची में शामिल करे न्यायपालिका: कपिल सिब्बल

वकील कपिल सिब्बल। (एएनआई फाइल फोटो)

Highlightsसर्वोच्च न्यायालय के हाल के फ़ैसलों और उसकी कार्य शैली पर परोक्ष हमला करते हुये जाने माने वकील कपिल सिब्बल ने न्यायपालिका से मांग की कि न्यायिक व्यवस्था को आवश्यक सेवाओं की सूची में शामिल किया जाये।उनकी दलील थी कि न्याय को रोका नहीं जा सकता। देश में जनता को न्याय के लिये भटकना पड़ रहा है।

सर्वोच्च न्यायालय के हाल के फ़ैसलों और उसकी कार्य शैली पर परोक्ष हमला करते हुये जाने माने वकील कपिल सिब्बल ने न्यायपालिका से मांग की कि न्यायिक व्यवस्था को आवश्यक सेवाओं की सूची में शामिल किया जाये। उनकी दलील थी कि न्याय को रोका नहीं जा सकता। देश में जनता को न्याय के लिये भटकना पड़ रहा है। 

दरअसल लॉक डॉउन घोषित होने के बाद से देश में न्याय पालिकायें पूरी तरह रुक गयी हैं। सिब्बल का मानना था कि छोटी अदालतों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक लोगों को उसी तरह सेवायें मिले जैसे बिजली ,पानी जैसी आवश्यक सेवायें प्राप्त होती हैं। 

केंद्र सरकार पर भी सिब्बल जम कर बरसे, उन्होंने सरकार से पूछा कि कोरोना से जंग के लिये राष्ट्रीय नीति क्यों नहीं तैयार की गयी, आपदा प्रबंधन क़ानून मौजूद है, फिर उसका संज्ञान क्यों नहीं लिया जा रहा है। राज्यों की अनदेखी हो रही है, उनके पास कोरोना से लड़ने के लिये न तो पर्याप्त संसाधन हैं न पैसा केवल इस कारण कि ‘‘नॉर्थ ब्लॉक में बैठे नौकरशाह नीतियां बना रहे हैं, जबकि उन्हें राज्यों और आम लोगों की स्थिति के बारे में जानकारी नहीं है।'' 

वहीं सरकार ने आपदा प्रबंधन क़ानून 2005 पर चुप्पी साध ली है। राज्यों को कोरोना से जंग के लिये केंद्र फ़रमान तो जारी कर रहा है लेकिन सुविधाओं के नाम पर ठेंगा दिखाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने 
कोरोना के नाम पर अलग कोष बना दिया और लोगों से चंदा /दान देने की अपील जारी कर दी ,

जो पैसा एनडीआरएफ फंड में जाना चाहिये ताकि सीएजी उसका लेखा परिक्षण न कर सके। सिब्बल ने सरकार से आग्रह किया कि वह संविधान के तहत काम करे उसे तोड़े -मरोड़े नहीं। 

Web Title: The judiciary should include the judicial system in the list of essential services: Kapil Sibal

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