पूर्वोत्तर में उग्रवाद को पाकिस्तानी मदद रोकने के लिए पूर्वी पाकिस्तान का विचार आया: वाइस एडमिरल

By भाषा | Published: October 23, 2021 07:33 PM2021-10-23T19:33:40+5:302021-10-23T19:33:40+5:30

The idea of East Pakistan came up to stop Pakistani aid to insurgency in Northeast: Vice Admiral | पूर्वोत्तर में उग्रवाद को पाकिस्तानी मदद रोकने के लिए पूर्वी पाकिस्तान का विचार आया: वाइस एडमिरल

पूर्वोत्तर में उग्रवाद को पाकिस्तानी मदद रोकने के लिए पूर्वी पाकिस्तान का विचार आया: वाइस एडमिरल

बेंगलुरु, 23 अक्टूबर वाइस एडमिरल अनिल कुमार चावला ने शनिवार को कहा कि पश्चिमी पाकिस्तानी से पूर्वी पाकिस्तान को अलग करने की सोच पर 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद सक्रिय रूप से विचार होने लगा और उसकी मुख्य वजह पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद को पाकिस्तान की आईएसआई के समर्थन को रोकना था।

पूर्वी पाकिस्तान 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद पश्चिमी पाकिस्तान से अलग हुआ और नया देश बांग्लादेश अस्तित्व में आया।

दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग आफिसर कमांडिंग-इन -चीफ चावला ने कहा, ‘‘ इसका उल्लेख किया गया था कि लड़ाई वाकई दिसंबर (1971) में ही शुरू नहीं हुई। असल में यदि आप साहित्य पर गौर करते हैं और उसे पढ़ते हैं तो (आप पायेंगे कि) 1965 की लड़ाई के बाद ही सक्रिय रूप से यह विचार किया जाने लगा कि कैसे पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान से अलग किया जाए। ’’

उन्होंने यहां 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध पर वायुसेना सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उसकी मुख्य वजह पूर्वोत्तर में उग्रवाद खासकर नगा उग्रवादियों को हथियार एवं प्रशिक्षण प्रदान करने में पाकिस्तानी आईएसआई का हस्तक्षेप था।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह (उग्रवाद को सहयोग पहुंचाना) वाकई चटगांव की पहाड़ियों से हो रहा था और वहीं से हमने ‘जैसे को तैसा’ के रूप में काम करना शुरू किया और हमने मुक्त वाहिनी को प्रशिक्षित किया, इसलिए तब से ही विचार किया जाने लगा। लेकिन तब भारत बहुत कमजोर था। यदि आप चीजें याद करें तो (आप पायेंगे कि) कांग्रेस बंट चुकी थी और इंदिरा गांधी मुश्किल से प्रधानमंत्री बन पायी थीं और उस सरकार के लंबे समय तक चलने की उम्मीद नहीं थी।’’

वाइस एडमिरल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 साल पूरे होने पर यहां येलहंका वायुसेना स्टेशन पर चल रहे तीन दिवसीय वायुसेना सम्मेलन में बोल रहे थे। इसे ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है।

चावला ने कहा कि सन् 1965 से ही विचार मंथन होने लगा था। उन्होंने कहा, ‘‘(वैसे) यह बहुत प्रारंभिक चरण में था लेकिन अब दस्तावेज स्पष्ट रूप से बताते हैं कि कुछ कश्मीरी अलगाववादियों द्वारा 30 जनवरी,1971 को इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण करके लाहौर ले जाये जाने के बाद भारत सरकार ने वाकई उड़ान सुविधाएं बंद कर दीं और इससे पाकिस्तान पर पूर्वी पाकिस्तान में हथियार जुटाने में रोक लगी एवं उसे कोलंबो के रास्ते जाना पड़ा जो उसके लिए मुश्किल एवं महंगा साबित हुआ। ’’

उन्होंने कहा कि तब पाकिस्तान में शेख मुजीबुर रहमान (जो बाद में बांग्लादेश के संस्थापक बने) के चुनाव जीतने , लेकिन याह्या खान (पाकिस्तानी जनरल जो उसके राष्ट्रपति बने) द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनने देने से चीजें सामने आने लगीं। उन्होंने कहा कि मार्च, 1971 में जब मुजीबुर रहमान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की और उन्हें पश्चिमी पाकिस्तान ले जाया गया, तब वास्तव में भारत ने अप्रैल में युद्ध में कदम रखा।

चावला ने कहा, ‘‘ इसिलए हमारा (भारत का) जवाब बहुत ही समग्र था .... इसलिए जब आप 1971 के युद्ध पर नजर डालते हैं तो यह बस सेवाओं के बीच का समन्वय नहीं था बल्कि यह पूरी तरह सरकार की अवधारणा थी, जिसका काफी कुछ हमें पढ़ने एवं जानने की जरूरत है।

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