‘सबका साथ, सबका विकास’ मंत्र के पीछे पंढरपुर की महान परंपरा की प्रेरणा: मोदी
By भाषा | Updated: November 8, 2021 21:01 IST2021-11-08T21:01:09+5:302021-11-08T21:01:09+5:30

‘सबका साथ, सबका विकास’ मंत्र के पीछे पंढरपुर की महान परंपरा की प्रेरणा: मोदी
पंढरपुर (महाराष्ट्र), आठ नवंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र में वार्षिक पंढरपुर ‘‘वारी’’ धार्मिक यात्रा दुनिया की सबसे प्राचीन यात्राओं में एक है और यह जन आंदोलन के रूप में देखी जाती है, जो भारत की शाश्वत शिक्षा, सामाजिक सद्भाव, समान अवसर और नारी शक्ति का प्रतीक है।
पंढरपुर यात्रा की तुलना उन्होंने ‘‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’’ के अपनी सरकार के मंत्र से की और कहा कि ‘‘वारी’’ में भी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है।
प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेस के माध्यम से पंढरपुर में संपर्क बेहतर व सुगम बनाने के लिए 1,186 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर 223 किलोमीटर से अधिक लंबी पूर्ण निर्मित एवं उन्नत सड़क परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित करने और संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग (एनएच-965) के पांच खंडों और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग (एनएच-965जी) के तीन खंडों को चार लेन का बनाने के कार्य की आधारशिला रखने के बाद अपने संबोधन में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि वह भविष्य में इस श्रद्धास्थली को भारत के सबसे स्वच्छ तीर्थ स्थलों में देखना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि पंढरपुर को देश के सबसे स्वच्छ तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने का काम जनभागीदारी से ही होगा और जब स्थानीय लोग स्वच्छता के आंदोलन का नेतृत्व अपनी कमान में लेंगे, तभी इस सपने को साकार किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘वारकरी आंदोलन की विशेष बात यह है कि इसमें पुरूषों के साथ-साथ महिलाएं भी ‘वारी’ में हिस्सा लेती हैं। यह नारी शक्ति और मातृ शक्ति का प्रतीक है। ‘वारी’ सामाजिक सद्भाव और लैंगिक समानता का भी प्रतीक है, क्योंकि इसका उद्देश्य है ‘भेदभाव बुराई है।’ सामाजिक सद्भाव के इस उद्देश्य में लैंगिक समानता भी निहित है।’’
‘वारी’ एक धार्मिक यात्रा है जिसमें भगवान विठ्ठल के अनुयायी व वारकरी संप्रदाय के भक्त पुणे जिले के अलंदी और देहू से संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम जैसे संतों की पालकी लेकर पैदल ही पंढरपुर पहुंचते हैं। इस दौरान श्रद्धालु 250 किलोमीटर की यात्रा पैदल ही करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी वारकरी वह चाहे पुरूष हों या महिला, एक दूसरे को ‘‘माऊली’’ कहकर पुकारते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एक दूसरे को माऊली (माता) कहकर वह दरअसल एक दूसरे में संत ज्ञानेश्वर और भगवान विट्ठल को ही देखते हैं। सभी जानते हैं कि माऊली का मतलब माता है। इसलिए वारी मातृ शक्ति को भी परिलक्षित करती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आपस में ईर्ष्या न हो, द्वेष न हो, हम सभी को समान मानें, यही सच्चा धर्म है। इसीलिए, दिंडी (वारी) में कोई जात-पात नहीं होता, कोई भेदभाव नहीं होता। हर वारकरी समान है, हर वारकरी एक दूसरे का 'गुरुभाऊ' है, 'गुरु बहिण' है। सब एक विट्ठल की संतान हैं, इसलिए सबकी एक जाति है, एक गोत्र है- 'विट्ठल गोत्र'।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास कहता हूं, तो उसके पीछे भी तो इसी महान परंपरा की प्रेरणा है, यही भावना है। यही भावना हमें देश के विकास के लिए प्रेरित करती है, सबको साथ लेकर, सबके विकास के लिए प्रेरित करती है।’’
पंढरपुर की आभा और अभिव्यक्ति को अलौकिक करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पंढरपुर सभी श्रद्धालुओं के लिए मां है लेकिन इस धार्मिक नगरी से उनका भी नाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा पहला रिश्ता है गुजरात के द्वारका का। भगवान द्वारकाधीश ही यहां आकर विट्ठल स्वरूप में विराजमान हुए हैं। ...और मेरा दूसरा रिश्ता है काशी का। मैं काशी से हूं और पंढरपुर हमारी 'दक्षिण काशी' है। इसलिए, पंढरपुर की सेवा मेरे लिए साक्षात श्री नारायण हरि की सेवा है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि पंढरपुर वह भूमि है जिसने संत ज्ञानेश्वर, संत नामदेव, संत तुकाराम और संत एकनाथ जैसे कितने ही संतों को युग-संत बनाया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस भूमि ने भारत को एक नई ऊर्जा दी, भारत को फिर से चैतन्य किया। और भारत भूमि की ये विशेषता है कि समय-समय पर, अलग-अलग क्षेत्रों में, ऐसी महान विभूतियां अवतरित होती रहीं, देश को दिशा दिखाती रहीं।’’
उन्होंने कहा कि दक्षिण में मध्वाचार्य, निम्बकाचार्य, वल्लभाचार्य, रामानुजाचार्य हुए तो पश्चिम में नरसी मेहता, मीराबाई, धीरो भगत, भोजा भगत, प्रीतम, तो उत्तर में रामानंद, कबीरदास, गोस्वामी तुलसीदास, सूरदास, गुरु नानकदेव, संत रैदास हुए।
उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व में चैतन्य महाप्रभु, और शंकर देव जैसे अनेक संतों के विचारों ने देश को समृद्ध किया। अलग-अलग स्थान, अलग- अलग कालखंड, लेकिन एक ही उद्देश्य! सबने भारतीय जनमानस में एक नई चेतना फूंकी, पूरे भारत को भक्ति की शक्ति का आभास कराया।’’
अपने भाषण की शुरुआत ‘‘रामकृष्ण हरि’’ के जयकारे से करते हुए प्रधानमंत्री ने मराठी में कहा कि वह बहुत भाग्यशाली है कि पालखी मार्ग का शिलान्यास करने का अवसर मिला।
प्रधानमंत्री ने जिन राष्ट्रीय राजमार्गों की आधारशिला रखी उनके दोनों ओर ‘पालखी’ के लिए समर्पित पैदल मार्ग का निर्माण किया जाएगा, जिससे भक्तों को परेशानी मुक्त और सुरक्षित मार्ग उपलब्ध होगा।
संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग के दिवेघाट से लेकर मोहोल तक के लगभग 221 किलोमीटर लंबे खंड और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग के पतस से लेकर टोंदले-बोंदले तक के लगभग 130 किलोमीटर लंबे खंड को चार लेन का बनाया जायेगा।
चार लेन वाले इन खंडों के दोनों ओर ‘पालखी’ के लिए समर्पित पैदल मार्ग बनाए जायेंगे। इन चार लेन और समर्पित पैदल मार्गों के निर्माण की अनुमानित लागत क्रमशः 6,690 करोड़ रुपये और लगभग 4,400 करोड़ रुपये से अधिक होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘एक तरह से ये महामार्ग भगवान विट्ठल के भक्तों की सेवा के साथ साथ इस पूरे पुण्य क्षेत्र के विकास का भी माध्यम बनेंगे। विशेष रूप से इसके जरिए दक्षिण भारत के लिए संपर्क और बेहतर होगा। इससे अब और ज्यादा श्रद्धालु यहां आसानी से आ सकेंगे और क्षेत्र के विकास से जुड़ी अन्य गतिविधियों को भी गति मिलेगी।’’
उन्होंने जनता से अपील की कि जिस संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का निर्माण होगा तो उसके किनारे बन रहे विशेष पैदल मार्ग के दोनों तरफ हर कुछ मीटर पर छायादार वृक्ष जरूर लगाए जाएं। उन्होंने कहा, ‘‘जब ये मार्ग बनकर तैयार होंगे, तब तक ये पेड़ भी इतने बड़े हो जाएंगे कि पूरा पैदल मार्ग छायादार हो जाएगा। मेरा इन पालखी मार्गों के किनारे पड़ने वाले अनेक गांवों से इस जनआंदोलन का नेतृत्व करने का आग्रह है। हर गांव, अपने क्षेत्र से होकर गुजरने वाले पालखी मार्ग की जिम्मेदारी संभाले, वहां पेड़ लगाए, तो बहुत जल्द ये काम किया जा सकता है।’’
इसी प्रकार, उन्होंने स्थानीय लोगों से पैदल मार्ग पर हर कुछ दूरी पर पीने के शुद्ध पानी की व्यवस्था जरूर करें।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं भविष्य में पंढरपुर को भारत के सबसे स्वच्छ तीर्थ स्थलों में देखना चाहता हूं। हिन्दुस्तान में जब भी कोई देखे कि भई सबसे स्वच्छ तीर्थ स्थल कौन सा है तो सबसे पहले नाम मेरे विट्ठोबा का, मेरे विट्ठल की भूमि का, मेरे पंढरपुर का होना चाहिये। यह काम भी जनभागीदारी से ही होगा। जब स्थानीय लोग स्वच्छता के आंदोलन का नेतृत्व अपनी कमान में लेंगे, तभी हम इस सपने को साकार कर पाएंगे।’’
इस अवसर पर केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस सहित कई अन्य प्रमुख नेता पंढरपुर में उपस्थित थे। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मुंबई से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
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