कोर्ट ने कहा, दिल्ली में जलभराव रोकने के लिए कमांडो की तरह काम करें, कुछ हट कर सोचें
By भाषा | Updated: July 27, 2019 13:55 IST2019-07-27T13:55:57+5:302019-07-27T13:55:57+5:30
अदालत ने कहा कि जलभराव से यातायात बाधित होने के अलावा जिन सड़कों या रास्तों पर पानी भरा रहता है वे बच्चों के साथ ही पैदल चलने वालों के लिए घातक हो सकते हैं क्योंकि वे खुले नाले नहीं देख पाते और उसमें गिर कर गंभीर रूप से चोटिल हो सकते हैं या उनकी जान भी जा सकती है।

पीठ ने सुझाव दिया कि जिन स्थानों पर पानी हटाना संभव नहीं हो वहां जलाशय बनाएं जाएं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार से बारिश के मौसम में राष्ट्रीय राजधानी में जलभराव रोकने के लिए “कुछ हट कर सोचने” और “कमांडो की तरह काम करने” को कहा।
न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि अगले 20 दिनों में भारी बारिश का अनुमान है इसलिए दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को शहर में जलभराव न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए “हरसंभव प्रयास” करने चाहिए।
अदालत ने कहा कि जलभराव से यातायात बाधित होने के अलावा जिन सड़कों या रास्तों पर पानी भरा रहता है वे बच्चों के साथ ही पैदल चलने वालों के लिए घातक हो सकते हैं क्योंकि वे खुले नाले नहीं देख पाते और उसमें गिर कर गंभीर रूप से चोटिल हो सकते हैं या उनकी जान भी जा सकती है।
पीठ ने पीडब्ल्यूडी को आईटीओ जैसे अतिसंवेदनशील स्थानों पर जलभराव रोकने के लिए पानी के पंपों के साथ पहले से तैयारी रहने का निर्देश दिया है। अदालत ने विभाग को निर्देश दिया कि सभी चिह्नित स्थानों की अधिकारियों द्वारा निरंतर निगरानी हो ताकि जैसे ही जलभराव हो, अधिकारी पानी को हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई कर सकें और यातायात बाधित होने से रोकें।
साथ ही पीठ ने सुझाव दिया कि जिन स्थानों पर पानी हटाना संभव नहीं हो वहां जलाशय बनाएं जाएं या अस्थायी रूप से टैंकर लगा दें ताकि इस पानी को जमा किया जा सके और अन्य प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल हो सके।