न्यायालय ने महामारी में अनाथ हुए बच्चों के कल्याण के लिए 25 करोड़ रु. दिए जाने का पक्ष लिया

By भाषा | Updated: September 18, 2021 15:56 IST2021-09-18T15:56:53+5:302021-09-18T15:56:53+5:30

The court has given Rs 25 crore for the welfare of the children who were orphaned in the epidemic. favored giving | न्यायालय ने महामारी में अनाथ हुए बच्चों के कल्याण के लिए 25 करोड़ रु. दिए जाने का पक्ष लिया

न्यायालय ने महामारी में अनाथ हुए बच्चों के कल्याण के लिए 25 करोड़ रु. दिए जाने का पक्ष लिया

नयी दिल्ली, 18 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने पांच साल पहले के एक मामले में महाराष्ट्र सरकार द्वारा शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा की गई 25 करोड़ रुपये की राशि को राज्य में कोविड-19 के दौरान अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों के कल्याण के लिए वितरित किए जाने का पक्ष लिया है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने इस सप्ताह के शुरू में उल्लेख किया कि महाराष्ट्र में लगभग 19,000 बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता में से एक की मौत कोविड-19 की वजह से हुई है तथा 593 बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता दोनों की मौत इस महामारी की वजह से हो गई है।

महामारी की दूसरी लहर से सर्वाधिक प्रभावित रहे राज्यों में से एक महाराष्ट्र ने मेडिकल कॉलेज प्रवेश से संबंधित एक पुराने मामले में शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में 25 करोड़ रुपये जमा किए थे।

उच्चतम न्यायालय ने उल्लेख किया कि महाराष्ट्र सरकार ने 17 जून 2021 को एक नीति तैयार की थी, जिसमें महामारी की वजह से अपने माता-पिता दोनों को खो चुके बच्चों के लिए पांच-पांच लाख रुपये की राशि सावधि जमा करने की बात कही गई है, जो बच्चों को बालिग होने पर मिलेगी।

पीठ ने कहा, ‘‘दो दिसंबर 2016 के आदेश के आलोक में (महाराष्ट्र सरकार द्वारा) जमा की गई 20 करोड़ रुपये की राशि ब्याज के चलते बढ़कर 25,53,25,548 रुपये हो गई है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि राशि महाराष्ट्र सरकार को जारी करने का निर्देश दिए जाने से पहले वह एक शपथपत्र के जरिए ठोस बयान चाहती है, जिसमें इस बात का जिक्र हो कि धन का इस्तेमाल उन बच्चों के कल्याण के लिए किया जाएगा, जिनके माता-पिता में से एक या दोनों की मौत महामारी की वजह से हुई है।

पीठ ने 13 सितंबर के अपने आदेश में कहा, ‘‘सचिव, महिला एवं बाल कल्याण विभाग, महाराष्ट्र सरकार तीन सप्ताह के भीतर शपथपत्र दायर करें। न्यायालय फिर प्रस्ताव का अध्ययन करने के बाद उचित आदेश पारित करेगा।’’

महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील सचिन पाटिल ने एक नोट प्रस्तुत कर इस बारे में विवरण दिया कि किस तरह धन का इस्तेमाल बच्चों के हित के लिए किया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने पाटिल के इस सुझाव की सराहना की कि धन का इस्तेमाल उन बच्चों के कल्याण के लिए किया जाए जिनके माता-पिता में से एक या दोनों की मौत महामारी की वजह से हुई है।

मामले में अगली सुनवाई चार अक्टूबर को होगी।

शीर्ष अदालत ने दो दिसंबर 2016 को एक मेडिकल कॉलेज में प्रवेश से संबंधित बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ छात्रों की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा था कि चूंकि महाराष्ट्र सरकार छात्रों के हित का समर्थन कर रही है, इसलिए उसे 15 दिसंबर 2016 तक इस अदालत में 20 करोड़ रुपये जमा करने चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने 16 दिसंबर 2016 को छात्रों की अपील खारिज करते हुए कहा था कि संबंधित धन को बच्चों के कल्याण से जुड़े मुद्दों के लिए उपलब्ध रखा जाना चाहिए।

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Web Title: The court has given Rs 25 crore for the welfare of the children who were orphaned in the epidemic. favored giving

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