न्यायालय ने चेक बाउंस के मामलों के जल्द निस्तारण के लिए केंद्र से कानून में संशोधन करने को कहा

By भाषा | Updated: April 16, 2021 14:39 IST2021-04-16T14:39:26+5:302021-04-16T14:39:26+5:30

The court asked the Center to amend the law for speedy disposal of check bounce cases | न्यायालय ने चेक बाउंस के मामलों के जल्द निस्तारण के लिए केंद्र से कानून में संशोधन करने को कहा

न्यायालय ने चेक बाउंस के मामलों के जल्द निस्तारण के लिए केंद्र से कानून में संशोधन करने को कहा

नयी दिल्ली, 16 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने चेक बाउंस के मामलों के जल्द निस्तारण के लिए शुक्रवार को कई निर्देश जारी किए और एक ही लेन-देन से संबंधित व्यक्ति के खिलाफ एक वर्ष के भीतर दर्ज मामलों में सभी मुकदमों को साथ जोड़ने की व्यवस्था करने के लिए केंद्र को कानून में संशोधन करने का सुझाव दिया है।

शीर्ष अदालत ने देश के सभी उच्च न्यायालयों को चेक बाउंस के मामलों से निपटने के लिए निचली अदालतों को निर्देश देने को कहा है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि चेक बाउंस के मामलों में साक्ष्यों को अब हलफनामा दायर कर प्रस्तुत किया जा सकता है और गवाहों को बुलाकर जांच करने की जरूरत नहीं होगी।

पीठ ने केंद्र से परक्राम्य लिखत अधिनियम (नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट) में ‘उचित संशोधन’ करने को कहा ताकि एक व्यक्ति के खिलाफ एक साल के भीतर दर्ज कराए चेक बाउंस के मामलों में सभी मुकदमों को साथ जोड़कर एक मुकदमा चलाया जा सके।

शीर्ष अदालत ने अपने पुराने फैसले को दोहराया और कहा कि निचली अदालतों के पास चेक बाउंस मामले में मुकदमे का सामना करने के लिए व्यक्तियों को तलब करने के फैसले पर पुनर्विचार करने की “स्वाभाविक शक्तियां” नहीं हैं।

न्यायालय ने कहा कि जिन मामलों का निपटान उसने नहीं किया है उसपर बंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति आर सी चव्हाण की अध्यक्षता वाली समिति विचार करेगी।

शीर्ष अदालत ने 10 मार्च को इस समिति का गठन किया था और देश भर में चेक बाउंस के मामलों के जल्द निस्तारण के लिए उठाए गए कदमों पर तीन माह के भीतर एक रिपोर्ट मांगी थी।

इसने कहा कि तीन न्यायाधीशों की पीठ आठ हफ्तों के बाद चेक बाउंस के मामलों का जल्द निस्तारण सुनिश्चित करने पर अब स्वत: संज्ञान लेगी।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने देश में लंबित चेक बाउंस के करीब 35 लाख मामलों को ‘‘अजीबोगरीब” बताया था और केंद्र से ऐसे मामलों से निपटने के लिए खास अवधि के लिए अतिरिक्त अदालतें बनाने के संबंध में कानून बनाने के लिये कहा था।

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Web Title: The court asked the Center to amend the law for speedy disposal of check bounce cases

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