बलात्कार मामले में पिछले सप्ताह की गई टिप्पणी ‘‘बिल्कुल गलत रूप में प्रचारित’’ की गई: न्यायालय

By भाषा | Updated: March 8, 2021 21:55 IST2021-03-08T21:55:15+5:302021-03-08T21:55:15+5:30

The comment made last week in the rape case was "promoted as a completely wrong": the court | बलात्कार मामले में पिछले सप्ताह की गई टिप्पणी ‘‘बिल्कुल गलत रूप में प्रचारित’’ की गई: न्यायालय

बलात्कार मामले में पिछले सप्ताह की गई टिप्पणी ‘‘बिल्कुल गलत रूप में प्रचारित’’ की गई: न्यायालय

नयी दिल्ली, आठ मार्च उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि बलात्कार के एक मामले में जमानत के विषय पर सुनवाई के दौरान पिछले हफ्ते की गई उसकी टिप्पणी ‘‘बिल्कुल ही गलत रूप में प्रचारित’’ की गई। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह ‘‘महिलाओं का बहुत सम्मान’’ करता है।

‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ पर पीठ ने यह बात कही। दरअसल, न्यायालय की उस हालिया टिप्पणी को लेकर उसकी आलोचना की गई थी, जिसमें उसने एक मामले में बलात्कार के आरोपी से कथित तौर पर पूछा था कि क्या वह पीड़िता से विवाह करेगा। इस घटना के समय पीड़िता नाबालिग थी और अब वह बालिग हो गई है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हमने पूछा था कि क्या तुम विवाह करने जा रहे हो ? हमने (उसे) विवाह करने के लिए नहीं कहा था।’’ पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘सच्चाई यह है कि महिलाओं के लिए हमारे मन में सर्वोच्च सम्मान है।’’

पीठ ने एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। उसने 14 वर्षीय एक बलात्कार पीड़िता की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसमें गर्भवती याचिकाकर्ता ने करीब 26 सप्ताह का अपना गर्भ गिराने की अनुमति मांगी है।

इस मामले में पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पिछले सप्ताह पीठ द्वारा की गई टिप्पणी को संदर्भ से हटकर प्रचारित किया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वी के बीजू ने जब कहा कि लोगों का एक हिस्सा संस्था (न्यायालय) को बदनाम कर रहा है और एक तरह का तंत्र होना चाहिए। इस पर, पीठ ने कहा, ‘‘हमारी प्रतिष्ठा हमेशा ही बार (वकीलों) के हाथ में होती है। ’’

वीडियो कॉन्फ्रेंस के मार्फत हुई कार्यवाही के दौरान पीठ ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम के एक प्रावधान का हवाला दिया और कहा कि रिकार्ड के संदर्भ में पिछले सप्ताह सवाल किये गये थे, लेकिन मुद्दे को बिल्कुल ही गलत रूप में प्रचारित किया गया।

न्यायालय ने कहा, ‘‘श्रीमान सॉलिसीटर जनरल, कृपया आप साक्ष्य अधिनियम की धारा 165 को पढ़िए।’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘इसे बिल्कुल ही गलत रूप में प्रचारित किया गया।’’

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 165 सवाल करने या आर्डर(आदेश) तैयार करने की न्यायाधीश की शक्ति से संबद्ध है।

पीठ ने गर्भ गिराने का अनुरोध करने वाली बलात्कार पीड़िता की याचिका पर सुनवाई 12 मार्च के लिए निर्धारित कर दी।

इससे पहले, न्यायालय ने कहा था कि बलात्कार के आरोपी से यह पूछा जाना कि क्या वह पीड़िता से विवाह करेगा, यह (विवाह संबंधी) सवाल ‘‘न्यायिक रिकॉर्डों ’’के संदर्भ में पूछा गया था, जिसमें व्यक्ति की ओर से शपथ पत्र में कहा गया था कि वह पीड़िता के 18 साल के होने पर उससे विवाह करेगा।

माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने प्रधान न्यायाधीश को इस संबंध में पत्र लिखकर उनसे अपनी टिप्पणी वापस लेने को कहा था, जो आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर एक मार्च को सुनवाई के दौरान कथित तौर पर की गई थी।

कई महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, नागरिकों, बुद्धिजीवियों, लेखकों और कलाकारों ने भी प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर मांग की थी कि वह माफी मांगें और इन टिप्पणियों को वापस लें।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने न्यायालय का समर्थन करते हुए कहा कि कार्यकर्ता सर्वोच्च न्यायपालिका को “बदनाम” न करें और उसकी कार्यवाहियों का इस्तेमाल “राजनीतिक फायदे” के लिये न करें।

आरोपी के वकील ने कहा था कि उनका मुवक्किल पीड़िता के साथ शुरूआत में विवाह करने का इच्छुक था, लेकिन लड़की ने इनकार कर दिया था और अब उसकी (आरोपी की) शादी किसी और से हो गयी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: The comment made last week in the rape case was "promoted as a completely wrong": the court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे