अशोका विवि के कुलाधिपति ने कहा: संस्थापकों ने अकादमिक स्वतंत्रता में कभी हस्तक्षेप नहीं किया

By भाषा | Updated: March 21, 2021 16:21 IST2021-03-21T16:21:31+5:302021-03-21T16:21:31+5:30

The Chancellor of Ashoka University said: The founders never interfered in academic freedom | अशोका विवि के कुलाधिपति ने कहा: संस्थापकों ने अकादमिक स्वतंत्रता में कभी हस्तक्षेप नहीं किया

अशोका विवि के कुलाधिपति ने कहा: संस्थापकों ने अकादमिक स्वतंत्रता में कभी हस्तक्षेप नहीं किया

नयी दिल्ली, 21 मार्च अशोका विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रूद्रांशु मुखर्जी ने कहा है कि संस्थान अकादमिक आजादी तथा बौद्धिक स्वतंत्रता के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ है तथा यहां के संस्थापकों ने अकादमिक स्वतंत्रता में कभी हस्तक्षेप नहीं किया।

दरअसल उनका यह बयान प्रो. प्रताप भानु मेहता के प्रोफेसर के पद से इस्तीफा देने के बाद इसके कारणों को लेकर चल रही तरह-तरह की चर्चा की पृष्ठभूमि में आया है।

हरियाणा के सोनीपत में स्थित यह विश्वविद्यालय इस हफ्ते तब विवादों के घेरे में आया जब प्रताप भानु मेहता ने प्रोफेसर के पद से इस्तीफा देते हुए कहा था कि संस्थापकों ने यह ‘‘खुलकर स्पष्ट’’ कर दिया है कि संस्थान से उनका जुड़ाव ‘‘राजनीतिक बोझ’’ था। मेहता ने दो साल पहले विश्वविद्यालय के कुलपति पद से भी इस्तीफा दिया था।

मुखर्जी ने फैकल्टी सदस्यों तथा छात्रों को लिखे पत्र में कहा, ‘‘आज जब संस्थापकों पर अकादमिक स्वायत्तता एवं अभिव्यक्ति की आजादी को कम करने के आरोप लगा रहे हैं तो अशोका विश्वविद्यालय से शुरू से जुड़े होने तथा कुलाधिपति होने के नाते यह सुस्पष्ट ढंग से बताना मैं आवश्यक समझता हूं कि संस्थापकों ने कभी भी अकादमिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया: फैकल्टी सदस्यों को अपने पाठ्यक्रम तैयार करने, शिक्षण की अपनी पद्धतियों का अनुसरण करने तथा आकलन के अपने तरीकों का इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता दी गई।’’

मुखर्जी ने कहा कि उन्हें (फैकल्टी सदस्यों को) अनुसंधान एवं प्रकाशन की भी आजादी दी गई।

उन्होंने 20 मार्च को लिखे पत्र में कहा, ‘‘संस्थापकों ने केवल दो बिंदुओं पर जोर दिया, पहला तो यह कि अशोका में बौद्धिक मानकों से समझौता नहीं किया जाए और दूसरा यह कि फाउंडेशन कोर्स अशोका की अकादमिक पेशकश से जुड़े हुए हों।’’

दरअसल अकादमिक क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय स्तर के 150 से अधिक लोग मेहता के समर्थन में सामने आए हैं और उन्होंने एक खुले पत्र में अशोका विश्वविद्यालय से मेहता के इस्तीफे को अकादमिक स्वतंत्रता पर ‘‘खतरनाक हमला’’ बताया है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर तथा अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने भी एक ब्लॉग में कहा है, ‘‘मेहता प्रतिष्ठान की आंख की किरकिरी हैं।’’

मेहता द्वारा इस्तीफे देने के उपरांत उनके साथ एकजुटता दिखाते हुए दो दिन बाद प्रख्यात अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रह्मण्यम के विश्वविद्यालय से इस्तीफा देने के विरोध में विश्वविद्यालय छात्र संघ ने 22-23 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया है।

इससे पहले रविवार को अशोका विश्वविद्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘‘ हम मानते हैं कि संस्थागत प्रक्रियाओं में कुछ खामियां रही हैं, जिसे सुधारने के लिए हम सभी पक्षकारों के साथ मिलकर काम करेंगे। यह अकादमिक स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराएगा जो अशोका यूनिवर्सिटी के आदर्शों में हमेशा अहम रही है।’’

इसमें मेहता और सुब्रह्मण्यम के फैकल्टी से इस्तीफों से जुड़े हाल के घटनाक्रम पर ‘‘गहरा खेद’’ जताया गया।

इस बीच, मेहता ने छात्रों को लिखे एक पत्र में अपनी वापसी के लिए ‘‘जोर’’ न देने का अनुरोध करते हुए कहा कि जिन परिस्थितियों के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया, वे निकट भविष्य में नहीं बदलेंगी।

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Web Title: The Chancellor of Ashoka University said: The founders never interfered in academic freedom

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