ई-सिगरेट पर प्रतिबंध को कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती, कंपनी ने इन बातों को बनाया आधार
By भाषा | Published: September 27, 2019 02:34 AM2019-09-27T02:34:02+5:302019-09-27T02:34:02+5:30
सिंघवी ने याचिका के निपटारे तक वैकल्पिक धूम्रपान उपकरण पर सरकार के प्रतिबंध पर रोक लगाने के लिए अदालत से अंतरिम आदेश देने का अनुरोध किया।
पश्चिम बंगाल में कोलकाता की एक इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट थोक कंपनी ने बृहस्पतिवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख कर वैकल्पिक धूम्रपान उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के निर्णय को चुनौती दी। कंपनी ने इसे मनमाना, भेदभावपूर्ण, हद से ज्यादा और कठोर बताया। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा के समक्ष दावा किया कि यह प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), 19 (अधिकारों का संरक्षण) और 21 (प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण) के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
उन्होंने कहा कि वैकल्पिक धूम्रपान उपकरण के उत्पादन, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री या विज्ञापन देने को प्रतिबंधित करना भेदभावपूर्ण है, क्योंकि यह कम नुकसानदेह है, जबकि सिगरेट, सिगार और बीड़ी जैसे ज्वलनशील तंबाकू उत्पाद स्वास्थ्य के लिए ज्यादा नुकसानदेह हैं और इनकी बिक्री तथा विज्ञापन को कुछ प्रतिबंधों के साथ जारी रखा गया है। इन उत्पादों के विज्ञापन देने पर रोक है और ये स्कूलों के पास या 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को नहीं बेची जा सकती हैं।
उन्होंने कहा कि ई-सिगरेट में कैंसरकारी तत्व नगण्य होते हैं जबकि ज्वलनशील तंबाकू उत्पादों में काफी ज्यादा कैंसरकारी तत्व होते हैं। सिंघवी ने याचिका के निपटारे तक वैकल्पिक धूम्रपान उपकरण पर सरकार के प्रतिबंध पर रोक लगाने के लिए अदालत से अंतरिम आदेश देने का अनुरोध किया। न्यायमूर्ति सिन्हा ने सुनवाई को सोमवार तक के लिए टाल दिया जब अन्य ई-सिगरेट थोक कपंनी सरकार के फैसले को चुनौती देने के लिए अपना अभिवेदन देगी।
न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार के वकील पहले याची के अंतरिम आदेश के अनुरोध के खिलाफ मंगलवार को अभिवेदन देंगे। केंद्र सरकार ने 18 सितंबर को ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करने का निर्णय किया था और इसके लिए अध्यादेश जारी किया था।