जम्मू: एलओसी के रास्ते भारत में घुसकर फिदायीन हमले करने का टारगेट लेकर आने वाले आतंकी की अस्पताल में मौत हो जाने के उपरांत उसके शव को आज पाक सेना को सौंप दिया गया है। घुसपैठ के दौरान वह भारतीय सेना की गोली से जख्मी हो गया था। कल भी एक भारतीय को पाक सेना ने सौंपा था भारतीय सेना को जो मानसिक तौर पर ठीक नहीं था।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि पुंछ के चक्का दा बाग में एलओसी पर शव सौंपने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। राजोरी में घुसपैठ के दौरान फिदायीन घायल हुआ था। इसके बाद अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। मृत फिदायीन का शव पाकिस्तानी सेना ने कब्जे में ले लिया है। राजौरी के नौशहरा इलाके से एलओसी पर जख्मी हालत में पकड़े गए फिदायीन आतंकी की तीन सितंबर, शनिवार शाम सैन्य अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। रक्षा प्रवक्ता के अनुसार सैन्य अस्पताल में उपचाराधीन तबारक को शनिवार को दिल का दौरा पड़ा, जिससे उसकी मौत हो गई।
एलओसी पर जिंदा पकड़े गए फिदायीन तबारक हुसैन ने सैन्य अस्पताल में माना था कि पाकिस्तानी सेना के कर्नल ने उसके समेत फिदायीन दस्ते को भारतीय सेना पर हमले के लिए भेजा था। तबारक को पाकिस्तानी सेना के कर्नल यूसुफ ने हमले के लिए 30 हजार रुपये भी दिए थे। हमले के लिए सेना की तीन अग्रिम चौकियों की रेकी गई थी। 22 अगस्त को पकड़ा गया तबारक वर्ष 2016 में भी सीमा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसा था।
इस दौरान 2 साल की सजा काटने के बाद उसे पाकिस्तान भेजा गया था। 22 अगस्त को सेना ने एलओसी के नौशहरा सेक्टर में शेर मकड़ी इलाके में चार आतंकियों की घुसपैठ को नाकाम कर फिदायीन तबारक हुसैन को पकड़ा था। अत्यधिक खून बहने पर सैन्य जवानों ने उसे अपना चार बोतल खून दिया था। सर्जरी कर उसके शरीर से गोलियां निकाली गई थीं, लेकिन शनिवार शाम करीब 8 बजे दिल का दौरा पड़ा, जिससे उसकी मौत हो गई।
इस बीच कल भी पुंछ में गलती से एलओसी पार करने वाले मानसिक रूप से अस्वस्थ एक व्यक्ति को पाकिस्तान ने भारत भेज दिया था। अधिकारियों ने बताया कि पुंछ के डिगवार-तेरवान गांव निवासी मोहम्मद राशिद के परिवार ने 30 अगस्त को उसके लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी।अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना ने राशिद को एलओसी पर चक्का दा बाग क्रासिंग प्वाइंट पर भारतीय सेना के हवाले कर दिया।
उस वक्त अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। अधिकारियों ने बताया कि बाद में उसे उसके परिजनों को सौंप दिया गया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में यह दूसरी ऐसी घटना है, जिसमें कोई व्यक्ति गलती से सीमा पार गया, लेकिन उसे उसके परिवार वालों से सुरक्षित मिला दिया गया।