तपोवन सुरंग से शव निकलने के साथ ही माहौल हुआ गमगीन
By भाषा | Updated: February 15, 2021 17:53 IST2021-02-15T17:53:45+5:302021-02-15T17:53:45+5:30

तपोवन सुरंग से शव निकलने के साथ ही माहौल हुआ गमगीन
तपोवन, 15 फरवरी उत्तराखंड के आपदाग्रस्त क्षेत्र में एनटीपीसी की तपोवन—विष्णुगाड परियोजना की मलबे और गाद से भरी सुरंग में फंसे लोगों के शव बरामद होने के साथ ही माहौल गमगीन होता जा रहा है। लेकिन सुरंग के बाहर मौजूद लोगों को अभी भी अपने प्रियजनों को जीवित देखने की आस है।
पिछले एक सप्ताह से सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा प्रतिवादन बल द्वारा चलाए जा रहे संयुक्त बचाव और तलाश अभियान में रविवार से अभी तक कुल नौ शव सुरंग से निकाले जा चुके हैं। गौरतलब हैकि सात फरवरी को आपदा के वक्त सुरंग में काम कर रहे 25—35 लोग वहां फंस गए थे।
सुरंग में लापता चमोली जिले के सोनी गांव निवासी इलेक्ट्रीशियन सतेश्वर पुरोहित के पिता और ससुर पिछले सात दिनों से तपोवन में अपने बच्चे के जीवित लौटने की आस में यहां बैठे हैं। 'भाषा' से बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्हें भगवान पर पूरा भरोसा है कि उनका बेटा जरूर लौटेगा।
सतेश्वर अपने परिवार सहित तपोवन में रहते थे। उनकी दो पुत्रियां हैं जिनमें एक अभी केवल डेढ साल की है। पत्नी आशंकित हैं लेकिन रिश्तेदारों की हौसला अफजाई से उनमें सतेश्वर के वापस लौटने का विश्वास बना हुआ है।
दूसरी ओर तपोवन में अपनों की तलाश में आये लोगों का विश्वास डगमगाने लगा है। तपोवन बैराज साईट पर एडिट सुरंग से लेकर तपोवन बाजार तक गमगीन माहौल बना हुआ है। हर तरफ मातम छाया है और मायूस चेहरे दिखाई दे रहे हैं।
अब सुरंग के पास जुटने वाली भीड़ छंटने लगी है और लापता लोगों के परिजन यहां बने अस्थायी मुर्दाघर के आसपास घूमते दिख रहे हैं।
सोमवार सुबह सुरंग से निकले शवों में से एक चमोली जिले के पोखरी के मसोली गांव के सत्यपाल सिंह बर्त्वाल का है जिनके भाई और एक दर्जन से अधिक रिश्तेदार घटना वाले दिन से ही तपोवन में हैं। सुबह शिनाख्त होने के बाद से परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। बर्त्वाल के बड़े भाई शिशुपाल सिंह ने कहा कि शव निकलने के साथ ही उनकी सारी उम्मीदें खत्म हो गयीं। उन्होंने कहा कि अब शव के साथ गांव जाना पड़ेगा, यह असहनीय है।
जम्मू के जीतेन्द्र के परिजन भी पिछले चार-पांच दिनों से जोशीमठ और तपोवन के चक्कर काट रहे थे। उसके छोटे भाई पवन ने बताया कि मीडिया से हादसे की खबर लगते ही उन्होंने भाई को फोन किया जो बंद मिला। बाद में वह अपने रिश्तेदारों के साथ यहां आए और रविवार को उसका शव बरामद हुआ।
टिहरी जिले के लोहिल गांव के आलमसिंह पुण्डीर का शव भी रविवार को एडिट टनल से निकाला गया है। सुरंग से निकलने वाले शवों में आलम सिंह का शव पहला था।
अभी जो शव मिल रहे हैं वे एचसीसी कंपनी की एडिट सुरंग के अपसाईड में मिल रहे हैं। एनटीपीसी के एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक जिन शवों की शिनाख्त हुई है, उनमें से कई अंदर की अन्य साइटों पर कार्यरत थे। उन्होंने कहा कि संभवतया हादसे के बाद जब टनल के अंदर बिजली आदि बंद हुई होगी तो ये बाहर की ओर आये होंगे और वहां मलबे में फंस गए होंगे।
अभी तक मिले नौ शवों में सभी मलबे के भीतर से निकले हैं। मलबे में फंसने से शव कपड़ों सहित मलबे में लिपटे हुए थे।
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