बिहार के 27 से अधिक जिलों के पानी में आर्सेनिक की मात्रा काफी अधिक, पीने लायक नहीं

By एस पी सिन्हा | Published: May 25, 2023 06:39 PM2023-05-25T18:39:15+5:302023-05-25T19:38:21+5:30

रिसर्च विभाग के प्रभारी डॉ अशोक कुमार घोष ने बताया कि बिहार के 27 जिलों में पानी पर महावीर कैंसर संस्थान के शोध विभाग ने शोध करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि इन इलाकों के पानी पीने योग्य नहीं है।

The amount of arsenic in the water of more than 27 districts of Bihar is very high, not fit for drinking | बिहार के 27 से अधिक जिलों के पानी में आर्सेनिक की मात्रा काफी अधिक, पीने लायक नहीं

बिहार के 27 से अधिक जिलों के पानी में आर्सेनिक की मात्रा काफी अधिक, पीने लायक नहीं

Highlightsबिहार के 27 से अधिक जिलों का पानी पीने योग्य नहीं हैइंग्लैंड के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के 2 सदस्यी डॉक्टरों की टीम ने किया शोधप्रोफेसर घोष का यह मानना है कि सबसे प्रभावित जिलों में बक्सर, भोजपुर और भागलपुर है

पटना:बिहार की राजधानी पटना में स्थित महावीर कैंसर संस्थान पहुंची इंग्लैंड के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के 2 सदस्यी डॉक्टरों की टीम ने पाया है कि बिहार के 27 से अधिक जिलों का पानी पीने योग्य नहीं है। इन जिलों के पानी में आर्सेनिक की मात्रा काफी अधिक पाए गए हैं। बताया जा रहा है कि डब्लूएचओ के मानक से भी अधिक संख्या में इन जिलों में आर्सेनिक मात्राएं पाई गई है। यह टीम बिहार के कई जिलों में आर्सेनिक की मात्रा पर रिसर्च करेगी।

रिसर्च विभाग के प्रभारी डॉ अशोक कुमार घोष ने बताया कि बिहार के 27 जिलों में पानी पर महावीर कैंसर संस्थान के शोध विभाग ने शोध करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि इन इलाकों के पानी पीने योग्य नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन जगहों के पानी में आर्सेनिक की मात्रा काफी अधिक है, जो मानव जीवन के लिए घातक है। 

उन्होंने बताया कि महावीर कैंसर संस्थान में दिन-प्रतिदिन कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिसका मुख्य कारण पानी है। उन्होंने पानी को मीठा जहर बताते हुए कहा कि पानी में आर्सेनिक की मात्रा मिलने के बाद मानव जीवन पर स्किन डिजीज से यह बीमारी शुरू होता है और धीरे-धीरे कैंसर जैसे विकराल बीमारी में तब्दील हो जाता है। 

इस आर्सेनिक की मात्रा से गोल ब्लैडर, लीवर कैंसर, किडनी कैंसर, मुंह के कैंसर सहित कई तरह के कैंसर से मनुष्य का जीवन धीरे-धीरे खत्म हो जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि इन इलाकों का पानी डब्लूएचओ के मानक मात्रा से काफी संख्या में अधिक पाई गई है। इस बात का खुलासा महावीर कैंसर संस्थान के एक शोध में हुआ है। 

महावीर कैंसर संस्थान के शोध विभाग के प्रभारी और प्रदूषण बोर्ड के चेयरमैन रहे प्रोफेसर अशोक कुमार घोष ने बताया कि वह महावीर कैंसर संस्थान से जुड़कर कई वर्षों से आर्सेनिक पर शोध कर रहे हैं। 

शोध के क्रम में उन्होंने बिहार के 27 से अधिक जिलों के पानी का सैंपल लेकर उस पर शोध किया। जिसमें कई चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। प्रोफेसर घोष का यह मानना है कि सबसे प्रभावित जिलों में बक्सर, भोजपुर और भागलपुर है। जहां के पानी में आर्सेनिक की मात्रा काफी संख्या में मौजूद है। 

इसके अलावा गंगा के तट में बसे लोगों में आर्सेनिक की मात्रा भी काफी ज्यादा पाई गई है। जिन इलाकों में शोध की गई है उनमें पटना, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, गोपालगंज, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, मधुपुरा, कटिहार, मुंगेर प्रमुख है।

Web Title: The amount of arsenic in the water of more than 27 districts of Bihar is very high, not fit for drinking

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