"कांग्रेस का मकसद केवल इस देश को तोड़ना है", अमित शाह ने भी कच्चातिवू द्वीप विवाद पर पीएम मोदी की तरह कांग्रेस पर बोला हमला
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 31, 2024 02:32 PM2024-03-31T14:32:46+5:302024-03-31T14:47:13+5:30
अमित शाह ने कांग्रेस की इंदिरा सरकार द्वारा कच्चाथीवु द्वीप श्रीलंका को स्वेच्छा से छोड़ने के लिए विपक्षी पार्टी की जमकर आलोचना की।
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को साल 1974 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा कच्चाथीवु द्वीप श्रीलंका को "स्वेच्छा से छोड़ने" के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस और इंदिरा गांधी दोनों को "इस पर कोई पछतावा नहीं था।"
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार सूचना के अधिकार (आरटीआई) रिपोर्ट में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के 1974 में कच्चातीवू के रणनीतिक द्वीप को श्रीलंका को सौंपने के फैसले का खुलासा होने के बाद अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस का मकसद केवल इस देश को विभाजित करना या तोड़ना है।
उन्होंने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किये एक पोस्ट में कहा, "कांग्रेस के लिए ताली! उन्होंने स्वेच्छा से कच्चतीवू को छोड़ दिया और उन्हें इसका कोई पछतावा भी नहीं था। कभी कांग्रेस के एक सांसद देश को विभाजित करने के बारे में बोलते हैं और कभी-कभी वे भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बदनाम करते हैं। इससे पता चलता है कि वे भारत की एकता और अखंडता के खिलाफ हैं। वे केवल हमारे देश को विभाजित करना या तोड़ना चाहते हैं।''
Slow claps for Congress!
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) March 31, 2024
They willingly gave up #Katchatheevu and had no regrets about it either. Sometimes an MP of the Congress speaks about dividing the nation and sometimes they denigrate Indian culture and traditions. This shows that they are against the unity and integrity…
पीएम मोदी ने एक समाचार लेख साझा करते हुए उन घटनाओं का विस्तृत विवरण दिया, जिनके कारण श्रीलंका द्वीप पर आगे निकल गया। उन्होंने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर किये पोस्ट में लिखा कि कांग्रेस पार्टी भरोसा करन के लायक नहीं है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, "आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाला! नए तथ्यों से पता चलता है कि कांग्रेस ने कैसे बेरहमी से कच्चातीवू को श्रीलंका को दे दिया। इससे हर भारतीय नाराज है और इससे पुष्टि होती है कि लोग कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं कर सकते।"
पीएम ने कांग्रेस पर भारत की एकता को कमजोर करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना कांग्रेस का 75 वर्षों से काम करने का तरीका रहा है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने जिस लेख को एक्स पर शेयर किया है, जिसमें दावा किया गया है कि दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कच्चातीवू मुद्दे को महत्वहीन बताकर खारिज कर दिया था। लेख में यह भी दावा किया गया कि फैसले के खिलाफ विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद नेहरू ने उस मुद्दे को छोड़ दिया था।
मालूम हो कि पीएम मोदी ने पिछले साल संसद में कहा था कि भारत की इंदिरा गांधी सरकार ने 1974 में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया था। पीएम मोदी ने लोकसभा में कहा था, ''इन लोगों ने राजनीति के लिए भारत माता को तीन हिस्सों में बांट दिया था।"
उन्होंने कहा था, ''कच्चतीवू तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच एक द्वीप है। किसी ने इसे दूसरे देश को दे दिया और यह फैसला इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने लिया था।''
आजादी के बाद भी भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच स्थित कच्चातिवु द्वीप का उपयोग पारंपरिक रूप से श्रीलंकाई और भारतीय दोनों मछुआरों द्वारा किया जाता था। 1974 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने कच्चातिवु को श्रीलंकाई क्षेत्र के रूप में स्वीकार किया था।
पीएम मोदी ने हाल ही में तमिलनाडु की एक रैली में भी यह मुद्दा उठाया था। इस महीने की शुरुआत में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने 15 मार्च को कन्याकुमारी में अपनी रैली में "स्पष्ट झूठ" बोला था कि तमिलनाडु के मछुआरों को केवल द्रमुक के पिछले "पाप" के कारण श्रीलंका से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
स्टालिन ने कहा था, "तमिलनाडु के लोग सही इतिहास अच्छी तरह से जानते हैं कि द्रमुक सरकार के कड़े विरोध के बावजूद 1974, 1976 समझौते के तहत कच्चातिवू द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया था। क्या प्रधानमंत्री इस हद तक नासमझ हैं कि एक राज्य सरकार देश का एक हिस्सा दूसरे देश को दे सकता है।''